Chanakya Niti: भूलकर भी न फंसे इन मोह के जंजाल में, नहीं तो सफलता से हाथ धो बैठेंगे
चाणक्य की जिस नीति की आज हम आपसे बात करने जा रहे हैं उसमें उन्होंने बताया है कि किन परिस्थितयों में व्यक्ति को दूरी साध लेने में ही भलाई है। साथ ही अधिक मोह के जंजाल में फंसने से व्यक्ति सफलता से हाथ धो बैठता है।
Chanakya Niti: भारत के विद्वान दार्शनिक गुरुओं की श्रेणी में से एक चाणक्य की उपाधि है। भले ही चाणक्य आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी नीतियां आज भी पढ़ी जाती हैं। उनकी बताई नीतियों में लोग आज भी अपनी सफलता का मार्ग ढूंढते-फिरते रहते हैं। कुछ बातें चाणक्य ने ऐसी बताई हैं यदि उनका नियमित रूप से जीवन में पालन कर लिया जाए तो कामयाब होना लगभग तय हो जाता है।
चाणक्य ने बहुत लोगों को शिक्षा दी और यहां तक कि उन्होंने ने समपूर्ण मोर्य वंश की स्थापना भी की है। बात करें चाणक्य की नीतियों के बारे में तो उनकी जिस नीति कि आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं वह परिवार में अत्याधिक आसक्त व्यक्ति की परिस्थिति और लोगों के भौतिक मोह के पीछे भागने के बारे में है। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य का इस पर क्या कहना है।
आचार्य चाणक्य की नीति इस प्रकार से -
गृहासक्तस्य नो विद्या न दया मांसभोजिनः।
द्रव्य लुब्धस्य नो सत्यं न स्त्रैणस्य पवित्रता॥
परिवार के मोह में अधिक व्यस्त न रहें
आचार्य चाणक्य अपनी इस नीति में कहते हैं कि जो व्यक्ति घर और परिवार के मोह में उलझा रहता है वह जीवन में अपने हाथ से सफलता के अवसर पग-पग पर खोता है। व्यक्ति को चाहिए कि वह घर के लगाव और अपने कर्म में संतुलन बनाए। जो लोग परिवार का अधिक मोह रखते हैं वो जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। उन्होंने खास तौर पर यह बात छात्रों के लिए कही है कि यदि परिवार के चक्कर में रहेंगे और घर का मोह ज्यादा करेंगे तो जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे। इसलिए विशेष कर छात्रों को इन सभी मामलों से दूर रहना चाहिए।
एसे लोगों से लगाव नहीं रखना चाहिए
वहीं इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं कि मांसाहार खाने वाले व्यक्ति के अंदर दया की भावना बिल्कुल नहीं होती है अतः ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति अपने स्वाद के लिए निर्जीव पशु की हत्या तक करने पर आ जाता है भला वो अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकता है। तामसिक प्रकार का भोजन खाने से ऐसे लोगों में तमोगुण अधिक मात्रा में बढ़ जाता है। इन लोगों से जुड़ाव रखने में आपका कोई लाभ नहीं होगा इसलिए इनसे ज्यादा उम्मीद लगा कर न रखें।
धन का लोभी भी होता है स्वार्थी
आगे चाणक्य कहते हैं कि धन के लोभी व्यक्ति पर भी कभी विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि यह लोग हमेशा अपना ही फायदा सोचते हैं और अपने फायदे के लिए यह किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे लोभी व्यक्ति का मुख्य उपदेश पैसा अर्जित करना होता है। उसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं इसलिए इन लोगों से बच कर रहने में ही भलाई है। यदि आप इनकी संगत में आकर इनसे मित्रता रखते हैं तो यह सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध करेंगे इसलिए इन लगों से ज्यादा जुड़ाव न रखें।
इनकी संगत से रहना चाहिए दूर
गलत आचरण रखने वाले लोगों की मन से शुद्धता क्षीण हो जाती है और यह हमेशा उसी प्रकार से अनावश्यक कार्य करते हुए अपना जीवन यापन करते हैं। यह लोग शरीर ही नहीं बल्कि मन से भी अशुद्ध होते हैं इसलिए ऐसे लोगों पर बिल्कुल भरोसा न करें। जितना हो सके इनसे दूरी बनाकर रहने में ही भलाई है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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