अलग 'भील' राज्य की मांग को लेकर पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग गुरुवार को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में एकत्र हुए। आदिवासियों के लिए पूजनीय स्थल मानगढ़ धाम में आदिवासी नेताओं द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि भील राज्य की मांग लंबे समय से लंबित है और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) इस मुद्दे को जोर-शोर से पूरी ताकत के साथ उठा रही है।
रोत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "भील प्रदेश की मांग नई नहीं है। बीएपी इस मांग को जोरदार ढंग से उठा रही है। मेगा रैली के बाद, एक प्रतिनिधिमंडल प्रस्ताव के साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलेगा।" उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को वो लोकसभा में भी उठाएंगे। रोत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर लिखा ''1913 में मानगढ़ पर 1500 से अधिक आदिवासियों का बलिदान सिर्फ भक्ति आंदोलन के लिए नहीं था, भील प्रांत की मांग के लिए था।''
49 जिलों को मिलाकर नया राज्य बनाने की मांग
इस मांग को उठाने के लिए आसपुर से बीएपी विधायक उमेश मीना और धरियावाद से पार्टी विधायक थावरचंद डामोर आज भील राज्य की मांग वाली टी-शर्ट पहनकर राजस्थान विधानसभा पहुंचे। आदिवासी समुदाय राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर नया भील राज्य बनाने की मांग कर रहा है।
सरकार ने कहा- जाति के आधार पर राज्य नहीं बन सकता
भील प्रदेश की मांग को लेकर सरकार के जनजातीय मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि जाति के आधार पर राज्य नहीं बन सकता। ऐसा हुआ तो अन्य लोग भी मांग करेंगे। हम केंद्र को प्रस्ताव नहीं भेजेंगे। खराड़ी ने यह भी कहा कि जिसने धर्म बदला उनको आदिवासी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। खराड़ी ने डूंगरपुर दौरे के दौरान यह बयान दिया।
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