राजस्थान: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान विधान सभा स्पीकर ने वापस ली अपनी याचिका
स्पीकर ने हाईकोर्ट के जिस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी आज उस याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी है।
नई दिल्ली। राजस्थान की राजनीतिक लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर से सुनवाई हो रही है। विधान सभा स्पीकर सीपी जोशी ने हाईकोर्ट के जिस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी आज उस याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी थी और याचिका को वापस ले लिया गया है। राजस्थान विधानसभा के स्पीकर की तरफ से वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पेश हुए हैं। पिछले हफ्ते राजस्थान उच्च न्यायालय ने सचिन पायलट खेमे के पक्ष में फैसला सुनाया था। पायलट खेमे ने स्पीकर के नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की हुई थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद आज स्पीकर ने अपनी याचिका वापस लेने की मांग की थी।
राज्यपाल ने सरकार को प्रस्ताव वापस लौटाया
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव कुछ 'सवालों' के साथ सरकार को वापस भेजा है। राजभवन सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने कैबिनेट की पत्रावली कुछ सवालों के साथ लौटाई है। पिछले एक हफ्ते में यह दूसरी बार है, जब राज्यपाल ने सरकार के विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को लौटाया है।
राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने विधानसभा सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिये राज्यपाल को शनिवार देर रात एक संशोधित प्रस्ताव भेजा था। इसमें मंत्रिमंडल ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से आहूत करने का आग्रह किया है।
इससे पहले रविवार को राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम को एक नया मोड़ देते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पिछले साल कांग्रेस में शामिल होने के लिये पार्टी छोड़ने वाले छह विधायकों को विधानसभा में शक्तिपरीक्षण के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी (कांग्रेस) के खिलाफ मतदान करने का रविवार को व्हिप जारी किया। बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने एक बयान में कहा, ‘‘ सभी छह विधायकों को अलग-अलग नोटिस जारी कर सूचित किया गया कि चूंकि बसपा एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी है और (संविधान की) दसवीं अनुसूची के पैरा चार के तहत पूरे देश में हर जगह समूची पार्टी (बसपा) का विलय हुए बगैर राज्य स्तर पर विलय नहीं हो सकता है.