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राजस्थान के भीलवाड़ा में बाबा बागेश्वर की कथा में एंट्री गेट पर भगदड़ जैसे हालात, कई लोगों को आई चोटें

भीलवाड़ा में धीरेंद्र शास्त्री की कथा में वीआईपी गेट पर एंट्री को लेकर भगदड़ जैसे हालात पैदा हो गई। इसमें आधा दर्जन महिलाओं को हल्की चोटें आई हैं।

 बाबा बागेश्वर की कथा में एंट्री गेट पर मची भगदड़- India TV Hindi Image Source : INDIA TV बाबा बागेश्वर की कथा में एंट्री गेट पर मची भगदड़

भीलवाड़ाः राजस्थान के भीलवाड़ा में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की कथा में वीआईपी गेट पर प्रवेश को लेकर उस समय भगदड़ जैसे हालत हो गए जब लोगों के पास वीआईपी पास होने के बाद भी उन्हे एंट्री नहीं दी गई। इस दौरान लोगों और सुरक्षाकर्मियों के बीच कहासुनी के बाद भगदड़ जैसे हालत हो गए। इसमें कई महिलाएं भी चोटिल हो गई। जानकारी के अनुसार, आधा दर्जन महिलाओं को हल्की चोटें आई हैं। वहीं लोगों ने आयोजन समिति पर वीआईपी पास देकर भी व्यवस्था नहीं करने का आरोप लगाया है। इस मामले में काठिया वाले बाबा महन्त बनवारीशरण ने भी व्यवस्थाओं को लेकर समिति पर लापरवाही के आरोप लगाएं है।

महिला ने लगाये ये आरोप

घायल महिला चन्द्रकला सोमानी ने कहा कि हमारे पास वीआईपी पास है। मगर जब हम अंदर जाने लगे तो बाहर निकाल दिया गया। इसके कारण वहां कुछ समय के लिए अफरा-तफरी मच गई। यदि वीआईपी में बैठने की जगह नहीं थी तो इतने पास जारी क्यों किए गए। अभी हमारी जान चली जाती तो इनका क्या जाता। पुलिस वाले भी हमसे बदतमिजी कर रहे हैं।  

महन्त बनवारीशरण ने कही ये बात

वहीं जिन संत के सानिध्य में कथा का आयोजन हो रहा है काठिया वाले बाबा महन्त बनवारीशरण ने कहा कि पुलिस और प्रशासन सुरक्षा कर रहे हैं अच्छी बात है मगर जो यह मनमानी की जा रही है वह गलत बात है। हमसे वीआईपी पास को लेकर भी कोई चर्चा नहीं की गई थी। वहीं कथा समिति संयोजक आशीष ने कहा कि हम पास बना रहे हैं लेकिन कई लोगों ने उसके डुप्लीकेट पास बना लिए। इसके कारण हम उनको अंदर जाने से रोक रहे हैं। 

बाबा बागेश्वर ने कही ये बातें

वहीं, बाबा बागेश्वर ने कहा है कि मैं देश के युवाओं को यही संदेश देना चाहता हूं कि राजस्थान में वर्तमान में जिस तरह लव जिहाद का मुद्दा छाया हुआ है। मैं देश के युवाओं से यही प्रार्थना करना चाहता हूं कि जिस तरह हमारे पीछे सेल्फी लेने के लिए दौड़ते हैं। इस तरह आप भी ऐसी प्रसिद्ध पाएं कि लोग आपके पीछे सेल्फी लेने के लिए दौड़े। उन्होंने कहा कि बिना दरबार भी चमत्कार होता है। दरबार तो हमारी डमरू है। डमरू बजाना दरबार लगाने के बहाने हमें सिर्फ हिंदुओं को एकजुट करना है। ना कि हमें सिद्धि दिखानी है। 

रिपोर्ट- सोमदत्त त्रिपाठी