राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि उन्होंने कभी किसी जीतने योग्य उम्मीदवार का विरोध नहीं किया है और यहां तक कि उनका भी जो पिछले साल सितंबर में हुए प्रकरण के दौरान अनुशासनहीनता के आरोपी थे। दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान के बाद पायलट ने ये जवाब दिया है, जिसमें गहलोत ने दिल्ली में कहा कि उन्होंने राज्य के विधानसभा चुनाव के लिए सचिन पायलट के समर्थकों को टिकट देने का विरोध नहीं किया है। इस पर पायलट ने कहा कि वह सभी योग्य उम्मीदवारों के प्रस्तावों का खुले दिल से स्वागत करते हैं, यहां तक कि वे भी जो पिछले साल अनुशासनहीनता में शामिल थे।
"उन लोगों का भी स्वागत जिन्होंने अनुशासनहीनता की थी"
सचिन पायलयट ने पिछले साल की घटना का जिक्र करते हुए दौसा में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने उन सभी के प्रस्तावों का खुले दिल से स्वागत किया है जो जीतने योग्य हैं, यहां तक कि उन लोगों के भी जिन्होंने सोनिया गांधी की बात नहीं मानी थी। कांग्रेस नेता शुक्रवार को पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा की जनसभा की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए दौसा में थे। पायलट ने कहा कि सभी नेताओं ने पार्टी हित में सामूहिक निर्णय लेने का प्रयास किया है और जल्द ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन किस सीट से चुनाव लड़ेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान का जिक्र किया कि कांग्रेस में पार्टी नेताओं के बीच ‘‘प्रेम’’ है।
कांग्रेस जीती तो कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
जब सचिन पायलट से पूछा गया कि क्या वह उन शब्दों को भूल गए हैं जिनका इस्तेमाल मुख्यमंत्री गहलोत ने उस समय किया था जब उन्होंने 2020 में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी, पायलट ने कहा, ‘‘आपने आज सुना नहीं मुख्यमंत्री ने क्या बोला? हमारे अंदर जो प्यार मोहब्बत है वो एक मिसाल बन चुकी है और इस प्यार को देखकर विरोधी बहुत घबराये हुए हैं।’’ जब उनसे पूछा गया कि अगर चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, उन्होंने कहा कि नाम तय करना निर्वाचित उम्मीदवारों का काम है और फिर पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री नियुक्त करने के लिए फैसला लेता है। उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि कांग्रेस पार्टी फिर से राज्य में सरकार बनाएगी।
पिछले साल कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ चले गए थे नेता
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री आवास पर बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अशोक गहलोत खेमे के विधायकों के शामिल नहीं होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, तत्कालीन मुख्य सचेतक महेश जोशी और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को अनुशासनहीनता के लिए पार्टी द्वारा नोटिस दिया गया था। गहलोत समर्थक विधायकों ने पिछले साल सितंबर में सचिन पायलट को नया मुख्यमंत्री नियुक्त करने के पार्टी के किसी भी कदम का विरोध करने के लिए जयपुर में मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर एक समानांतर बैठक की थी। उस समय अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में थे।
(इनपुट- PTI)
ये भी पढ़ें-
इतनी भी किस्मत नहीं चमकानी थी भगवान! मजदूर के खाते में आए 2 अरब रुपये, आयकर विभाग ने बुला लिया
गाजीपुर में उधारी के डीजल पर चल रहीं प्रशासन की गाड़ियां, एक करोड़ से ऊपर पहुंचा तेल का बकाया