जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने संबंधी मामले में एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ एक भाजपा विधायक और बहुजन समाज पार्टी द्वारा दायर अपीलों पर कहा कि एकल पीठ 11 अगस्त को भाजपा और बसपा की अपील पर सुनवाई करेगी। भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा के राष्ट्रीय सचिव सतीश मिश्रा ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील करते हुए मंगलवार को खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था।
दोनों पक्षों ने इससे पहले विधानसभाध्यक्ष सीपी जोशी के सितंबर 2019 के फैसले को चुनौती देते हुए रिट याचिकाएं दायर की थीं जिसमें बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में विलय करने की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की एकल पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष और सचिव और छह विधायकों को 30 जुलाई को नोटिस जारी किया था तथा उन्हें 11 अगस्त को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
हालांकि पीठ ने कोई अंतरिम राहत प्रदान नहीं की थी और बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस विधायकों के रूप में सदन की कार्यवाही में भाग लेने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने अपील पर बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया था। लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। उनके वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी कि खंड पीठ में अपील विचार करने योग्य नहीं है।
सिब्बल ने यह भी कहा कि किसी भी विधायक को नोटिस दिए जाने के लिए विधानसभाध्यक्ष कार्यालय का इस्तेमाल डाकघर के रूप में नहीं किया जा सकता है। इस पर पीठ ने जैसलमेर के जिला न्यायाधीश के माध्यम से नोटिस भेजने और उन्हें जैसलमेर और बाड़मेर के दो समाचार पत्रों में प्रकाशित करने का निर्देश दिया।
बसपा के 6 विधायक यानि संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लाखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुढ़ा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन ये सभी सितंबर 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने विलय के खिलाफ इस वर्ष मार्च में विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत दी थी।
अब क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस के अंदर कलह मची हुई है और राजस्थान सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया है तो ऐसे में बहुजन समाज पार्टी भी अपने विधायकों की वापसी के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती कई बार कांग्रेस पार्टी को इसके लिए कटघरे में खड़ा कर चुकी है कि उसने धोखे से बसपा विधायकों को शामिल किया है।