जयपुर: राजस्थान सरकार कोरोना संक्रमण महामारी से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए श्रमिकों को अपनी विभिन्न परियोजनाओं में मनरेगा के तहत काम देने की संभावनाएं तलाशेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान काफी संख्या में श्रमिक बेरोजगार हुए हैं। जिन्हें जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, जल संसाधन व ऊर्जा विभाग के तहत चल रही परियोजनाओं में मनरेगा के तहत काम दिये जाने की संभावनाएं तलाशी जाएं।
गहलोत मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कांस्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में पानी की जरूरत बढ़ जाती है। ‘‘ऐसे में निर्बाध पेयजल आपूर्ति राज्य सरकार की प्राथमिकता में है और हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि इन गर्मियों में कोई प्यासा नहीं रहे।’’
गहलोत ने गर्मी के मौसम में प्रदेश में पेयजल आपूर्ति सुचारू रूप से करने और हैण्डपंप एवं नलकूपों की मरम्मत के कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। गहलोत ने 48 घंटे से अधिक समय के अंतराल से पेयजल आपूर्ति वाले क्षेत्रों में यह अंतराल कम करने के लिए कार्य योजना बनाने को कहा।
उन्होंने कहा कि लोगों को पीने का पानी कम से कम 48 घंटे में एक बार मिले, यह सुनिश्चित किया जाए। जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री डॉ बीडी कल्ला ने कहा कि राज्य सरकार ने फरवरी माह में ही 65 करोड़ रूपये की आपात योजना मंजूर कर सभी जिला कलेक्टर को 50-50 लाख रूपये की आकस्मिक स्वीकृति के लिए अधिकृत कर दिया है।
इसी तरह चार अभावग्रस्त जिलों जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर एवं हनुमानगढ़ में एसडीआरएफ के तहत पेयजल परिवहन के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत योजनाओं को भी समय पर पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।