दलित लड़के की मौत: कांग्रेस के 12 पार्षदों ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेजा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने दलित लड़के के परिवार को पार्टी फंड से 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।
कोटा: राजस्थान की बारां नगर परिषद के 12 कांग्रेस पार्षदों ने पार्टी के विधायक पानाचंद मेघवाल का समर्थन करते हुए दलितों पर कथित अत्याचार के विरोध में मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना इस्तीफा भेज दिया। जालौर में कथित तौर पर पेयजल वाले घड़े को छूने को लेकर स्कूल शिक्षक द्वारा पीटे जाने से 9 वर्षीय दलित लड़के की मौत के 2 दिन बाद बारां-अटरू से विधायक मेघवाल ने सोमवार को गहलोत को अपना इस्तीफा भेजा था। इस बीच, जालौर के सुराणा गांव में लड़के के परिजनों से मिलने के लिए विभिन्न राजनीतिक नेता पहुंचे।
कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट मंगलवार को पीड़ित परिवार से मिलने लड़क के घर पहुंचे और कहा कि दलित समुदाय का विश्वास जीतने के लिए एक मजबूत संदेश देने की जरूरत है। इस बीच, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने दलित लड़के के परिवार को पार्टी फंड से 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की और त्वरित मुकदमे का वादा किया। वह महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ममता भूपेश, लोक निर्माण मंत्री भजनलाल जाटव और आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल के साथ सुराणा गांव पहुंचे।
विधायक के कदम का समर्थन करते हुए बारां नगर निकाय के 25 कांग्रेस पार्षदों में से 12 ने दलितों और वंचित वर्गों के खिलाफ कथित अत्याचार पर नाराजगी व्यक्त की। वार्ड नंबर 29 के पार्षद योगेंद्र मेहता ने कहा कि उन्होंने विधायक के समर्थन में और दलितों की रक्षा करने में सरकार की विफलता के खिलाफ अपना त्यागपत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि जिन अन्य पार्षदों ने इस्तीफा भेजा है उनमें रोहिताश्व सक्सेना, राजाराम मीणा, रेखा मीणा, लीलाधर नागर, हरिराज एरवाल, पीयूष सोनी, उर्वशी मेघवाल, यशवंत यादव, अनवर अली, ज्योति जाटव और मयंक मथोदिया शामिल हैं।
मेहता ने कहा कि वे बुधवार को कोटा संभागीय आयुक्त को अपने त्यागपत्र की प्रतियां सौंपेंगे। इस बीच, कोटा के इटावा नगर निकाय के मनोनीत पार्षद सुरेश महावर ने भी अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेजा है। जालौर रवाना होने से पहले पायलट ने कहा, ‘ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करने की आवश्यकता है। हमें ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने की जरूरत है। केवल कानून, भाषण और कार्रवाई पर्याप्त नहीं हैं। हमें उन्हें एक मजबूत संदेश देना होगा कि हम उनके साथ हैं, ताकि उनमें विश्वास पैदा हो।’ पायलट ने इस मुद्दे के राजनीतिकरण की निंदा करते हुए कहा कि यह अनुचित है, चाहे यह बीजेपी द्वारा किया जाए या उनकी अपनी पार्टी द्वारा किया जाए।
डोटासरा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष से घोषित 5 लाख रुपये के अलावा, पार्टी की राज्य इकाई लड़के के परिवार को 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देगी। उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता राहुल गांधी ने नेताओं और विधायकों को परिजनों से मिलने और उनकी हरसंभव मदद करने का निर्देश दिया है।’ डोटासरा ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी और त्वरित सुनवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग पहले ही उस निजी स्कूल को नोटिस जारी कर चुका है जहां यह घटना हुई और पूछा गया है कि स्कूल की मान्यता क्यों नहीं समाप्त की जानी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि लड़के के परिवार के सदस्यों में स्थानीय पुलिस के खिलाफ नाराजगी थी और उन्हें आश्वासन दिया गया है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक पुलिस कांस्टेबल को मंगलवार को निलंबित कर दिया गया। विधायक पानाचंद मेघवाल और राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी के व्यास ने भी गांव का दौरा किया तथा परिवार को सांत्वना दी। उधर, जालौर से भाजपा के विधायक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि यह संदेहास्पद है कि मेघवाल जाति से होने और पानी के घड़े को छूने पर शिक्षक ने लड़के को पीटा।
गर्ग ने एक बयान में कहा, ‘मैंने ग्रामीणों और अन्य लोगों से बात की है। उनके अनुसार, इसमें संदेह है कि यह घटना इसलिए हुई क्योंकि लड़का मेघवाल था और उसने घड़े को छुआ था। इसमें कोई शक नहीं कि शिक्षक ने लड़के को पीटा और उसकी मौत हो गई। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और जांच की जा रही है। क्या उसे मेघवाल होने और घड़े को छूने की वजह से पीटा गया था, इसे जांच में स्पष्ट होने दें। केवल उसके बाद ही निष्कर्ष संबंधी बयान दिए जाने चाहिए।’
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि पीने के पानी का घड़ा छूने पर इंद्र कुमार को उसके शिक्षक छैल सिंह ने पीटा था। लड़के के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग करते हुए जयपुर में भीम आर्मी के 4 सदस्य पानी की टंकी पर चढ़ गए। बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन के अधिकारियों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।