Rajasthan Crime News: आज भी हमारे समाज से बाल विवाह जैसी कुरितियां खत्म नहीं हुई हैं। धौलपुर जिले की रहने वाली 14 साल की नाबालिग लड़की को उसकी ही मां के लिव-इन पार्टनर ने उसे एक 40 वर्षीय व्यक्ति के हाथों बेच दिया। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के कार्यकर्ताओं ने पीड़िता को बचाया है। लड़की को मेडिकल जांच के बाद शहर के सरकारी आश्रय गृह भेज दिया गया है।
मां के लिव-इन पार्टनर लड़की को 40 साल के व्यक्ति के हाथों बेचा
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसकी मां के लिव-इन पार्टनर ने पिछले साल दिसंबर में 40 साल के एक शख्स से 3 लाख रुपए में इसका सौदा किया था। उसका पति उसी जिले के दूसरे गांव का रहने वाला है। यह घटना उस समय हुई जब वह अपनी मां के साथ रहने आई थी। उसकी मां कुछ साल पहले एक शख्स के साथ रहने लगी थी। मां के प्रेमी ने लगातार उसके साथ मारपीट की। फिर उसने उसे एक 40 वर्षीय व्यक्ति को बेच दिया। जिसके बाद उस व्यक्ति से उसे शादी करनी पड़ी। शादी के बाद भी उसकी किस्मत नहीं बदली। उसका पति उसे लगातार यौन उत्पीड़न का शिकार बनाता रहा। पीड़िता से उसका पति घर का सारा काम करने को कहता था। अगर वह इस बात का विरोध करती थी तो उसके साथ बार-बार बलात्कार किया जाता था और प्रताड़ित किया जाता था।
गर्भवती न होने पर ससुराल वाले करते थे प्रताड़ित
ससुराल वाले भी लड़की को नहीं छोड़ते। उसे हर तरह से प्रताड़ित करते थे। लड़की के गर्भवती नहीं होने पर भी ससुराल वाले इस नाम पर उसे कई यातनाएं देते थे। जब मामला हद से बाहर चला गया तो लड़की ने कई बार सोचा कि वह घर से भाग जाए लेकिन वह असफल रही। फिर एक दिन वह घर से भागने में सफल हो गई। ससुराल से भागकर लड़की जयपुर पहुंची। जवाहर सर्कल क्षेत्र में एक लड़की के बेवजह भटकने की सूचना मिलने पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन (BBA) के कार्यकर्ताओं ने उसे बचाया। इसके बाद वे लड़की को जवाहर नगर थाने ले गए और प्राथमिकी दर्ज की।
आरोपियों पर पुलिस ने किया मामला दर्ज
पुलिस ने पॉक्सो की धारा 5 और 6 और IPC की धारा 376 के तहत एक जीरो एफआईआर दर्ज की है। पुलिस मानव तस्करी कानून की प्रासंगिक धारा भी लगाने पर वचार कर रही है। बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा- यह घटना बाल विवाह के पीड़ितों की दुर्दशा और उनके जीवन के शुरूआती दिनों में होने वाले दर्द को उजागर करती है। यह उचित समय है कि बाल विवाह को स्वीकार करने के बजाय एक बड़े अपराध के रूप में इसे देखा जाए।