राहुल की भारत जोड़ो यात्रा पर लग सकता है ग्रहण? राजस्थान कांग्रेस में फिर अंदरूनी बवाल शुरू
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अगले हफ्ते राजस्थान में पहुंचने वाली है, उससे पहले अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई एक बार फिर तेज हो गई है।
जयपुर: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की जंग का अब तीसरा चैप्टर शुरू हो गया है और भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी को अब कांग्रेस जोड़ो मिशन में लगना पड़ेगा। कांग्रेस में कलह का नया अध्याय शुरू हुआ है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान से। गहलोत ने खुलेआम पायलट को गद्दार कह दिया है और सीएम पद के लिए पायलट की दावेदारी का खुल्लमखुल्ला विरोध कर दिया है। गहलोत के बयान पर सचिन पायलट ने भी पलटवार किया है और अब कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में लग गई है। भारत जोड़ो यात्रा अगले हफ्ते राजस्थान में पहुंचने वाली है, उससे पहले गहलोत और पायलट की लड़ाई एक बार फिर तेज हो गई है।
6 दिसंबर को राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा की एंट्री
राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक चलकर भारत जोड़ो का मंत्र दे रहे हैं लेकिन राजस्थान कांग्रेस में बढ़ती खाई को पाट नहीं पा रहे हैं। 6 दिसंबर को राहुल की यात्रा राजस्थान में प्रवेश करने वाली है लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के दो दिग्गजों की आपसी लड़ाई थमती नहीं दिख रही। नया विवाद शुरू हुआ है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान के बाद। इस बार गहलोत ने पायलट के लिए जो कहा वो पायलट को उकसाने के लिए काफी था।
ऐसे शुरू हुई गहलोत-पायलट में तनातनी
बता दें कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अनबन की जड़ में महत्वाकांक्षा का बीज है। 2018 से ही सचिन सीएम पद के दावेदार हैं, उनके नेतृत्व में पार्टी ने राजस्थान में जीत भी हासिल की लेकिन कुर्सी मिली गहलोत को। उसके बाद ही दोनों के बीच तनातनी शुरू हो गई। पहली अनबन जुलाई 2020 में तब सामने आई जब पायलट खेमे के 18 विधायकों ने बगावत कर दी। जवाबी कार्रवाई में सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। 18 दिन सचिन पायलट खेमे के विधायक मानेसर में रहे। 10 अगस्त को सुलह हुई और 14 अगस्त 2020 को गहलोत ने विधानसभा में समर्थन हासिल कर लिया।
राहुल की यात्रा पर लग सकता है ग्रहण
ये पहली बगावत थी लेकिन इरादे दोनों के साफ हो गए थे। जिस कुर्सी को सचिन अपनी हक समझते थे गहलोत उसे अपना अधिकार...इसीलिए लड़ाई का दूसरा चैप्टर इसी साल उस वक्त खुला जब अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के फैसले के बाद इसी साल 25 सितंबर को गहलोत कैंप के विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार तो किया ही विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भी सौंप दिए। नतीजा ये हुआ कि गहलोत राजस्थान के सीएम बने रहे लेकिन उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष की दावेदारी खो दी और सोनिया गांधी से सरेआम माफी मांगी। विवाद फिर शुरू हो गया है और ऐसे मौके पर हुआ है जब राहुल की यात्रा राजस्थान में प्रवेश करने वाली है। अगर एक हफ्ते के अंदर इस विवाद का हल नहीं निकला तो ये विवाद राहुल की यात्रा पर ग्रहण लगा सकता है।