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Hindi News राजस्थान CM गहलोत का एक और सियासी दांव, 8 नए बोर्ड के गठन को दी मंजूरी

CM गहलोत का एक और सियासी दांव, 8 नए बोर्ड के गठन को दी मंजूरी

राजस्थान चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीन नए जिले बनाने की घोषणा के बाद एक और नए फैसले को मंजूरी दी है। उन्होंने आठ नए बोर्ड के गठन को मंजूरी दी है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत- India TV Hindi Image Source : PTI मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

राजस्थान विधानसभा चुनाव में चंद दिन बाकी है। उससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक के बाद एक कई बड़े फैसले ले रहे हैं। राज्य में तीन नए जिले बनाने की घोषणा के बाद अब आठ नए बोर्ड के गठन को मंजूरी दी है। नवगठित बोर्ड में राजस्थान राज्य राजा बली कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य वाल्मीकि कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य मेघवाल कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य पुजारी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य केवट कल्याण (मां पूरी बाई कीर) बोर्ड, राजस्थान राज्य जाटव कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य धाणका कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य चित्रगुप्त कायस्थ कल्याण बोर्ड शामिल है।

तीन नए जिले बनाने की घोषणा

इससे एक दिन पहले सीएम अशोक गहलोत ने मालपुरा, सुजानगढ़ एवं कुचामन को नए जिले बनाने का ऐलान किया। तीन नए जिले बनने के बाद राजस्थान में जिलों की संख्या 53 हो जाएगी। आचार संहिता लगने से ऐन पहले हुई इस घोषणा को चुनाव के लिहाज से अहम माना जा रहा है। कुछ ही महीनों में डीडवाना-कुचामन जिले को दो भागों में बांट दिया गया है। डीडवाना-कुचामन पहले नागौर जिले में आते थे। इसके साथ ही चूरू से सुजानगढ़ और टोंक से मालपुरा को अलग करके नए जिले बनाए जाएंगे।

नवगठित बोर्ड-

  1. राजस्थान राज्य राजा बलि कल्याण बोर्ड
  2. राजस्थान राज्य वाल्मीकि कल्याण बोर्ड
  3. राजस्थान राज्य मेघवाल कल्याण बोर्ड
  4. राजस्थान राज्य पुजारी कल्याण बोर्ड
  5. राजस्थान राज्य केवट कल्याण बोर्ड
  6. राजस्थान राज्य जाटव कल्याण बोर्ड
  7. राजस्थान राज्य धानका कल्याण बोर्ड
  8. राजस्थान राज्य चित्रगुप्त कायस्थ कल्याण बोर्ड

जातिगत जनगणना पर क्या बोले गहलोत?

वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले अपने एक अहम फैसले में कहा कि उनकी सरकार बिहार की तर्ज पर सूबे में जातिगत जनगणना करवाएगी। हालांकि, इसका कोई तय समय नहीं बताया है। सीएम गहलोत ने कहा कि राज्य में जातिगत जनगणना होगी और हम बिहार पैटर्न पर यह काम करवाएंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक नहीं लगाई है।