प्रदेश की सरकार बनवाने में जैसलमेर जिला भी बेहद अहम भूमिका निभाता है। यहां की जैसलमेर विधानसभा सीट पर 2003 से 2013 तक बीजेपी ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2018 में पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और हार का सामना करना पड़ा। लेकिन पार्टी ने इस बार ऐसी गलती नहीं की। उन्होंने यहां से पूर्व विधायक छोटू सिंह को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया था।
वहीं कांग्रेस ने उनके सामने अपने सिटिंग विधायक रूपा राम मेघवाल को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा था। बता दें कि छोटू सिंह 2013 के चुनाव में रूपा राम को परास्त कर चुके हैं और बीजेपी ने शायद इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है। इस सीट से कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे। जिनमें से पांच दो निर्दलीय शामिल हैं। यह सिकंदर खान, शाहबाज़ अली, युधिष्टर, मनोहर लाल हिंगडा और पूनम सिंह हैं। वहीं भीम ट्राइबल कांग्रेस ने बींजाराम को उम्मीदवार बनाया था। और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से रघुवीर सिंह मैदान में थे। इसके अलावा बीजेपी से छोटू सिंह और कांग्रेस से रूपा राम मैदान में थे।
इस बार जैसलमेर की विधानसभा सीट से नतीजों ने सभी को चौंकाया और बीजेपी के उम्मीदवार छोटू सिंह ने फिर से विधायकी जीत ली। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार और मौजूदा विधायक रूपाराम को 18687 वोटों से हरा दिया। छोटूसिंह को 104636 मत प्राप्त हुए और रूपाराम को केवल 85949 वोट ही मिल सके।
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पिछली बार यह रहा था परिणाम
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यहां कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार रूपा राम ने जीत हासिल की थी। उन्हें 106,531 मत प्राप्त हुए थे। वहीं दूसरे नंबर पर बीजेपी के सांगसिंह भाटी रहे थे। जिन्हें 76,753 वोट मिले थे। यहां कांग्रेस ने 29,778 वोटों से जीत हासिल की थी।