10वीं की छात्रा के सुसाइड पर IRS अधिकारी हुए दुखी, बोले- 'कोई इन बच्चों को बताए कि मैं 10th में फेल हो गया था'
राजस्थान के लालसोट की एक 10वीं की छात्रा ने सुसाइड कर लिया जिसे लेकर आईआरएस अधिकारी ने ट्वीट किया और दुख जाहिर करते हुए ये बात बताई, जानिए क्या कहा?
राजस्थान: राजस्थान के लालसोट जैसी छोटी-सी जगह की रहने वाली खुशबू के इतने बड़े ख्वाब थे जिसे पूरा ना कर पाने की वजह से उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। प्राइवेट स्कूल में दसवीं क्लास में पढ़ने वाली खुशबू मीणा जिसकी उम्र मात्र 15 साल थी उसने फांसी के फंदे पर झूलकर अपनी जान दे दी। जान देने के पीछे की वजह भी हैरान करने वाली है, उसे लगा कि वह दसवीं की परीक्षा में 95 प्रतिशत नंबर्स नहीं ला सकेगी। मां और पापा के नाम सुसाइड नोट लिखकर उसने फांसी लगा ली।
आईआरएस अधिकारी ने किया ट्वीट
इस खबर से दुखी होकर आईआरएस अधिकारी ने ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि कोई इन बच्चों को बताए कि मैं 10th में एक बार फैल हो गया था,अगली साल 43% से पास हुआ,12th में 56% और BA ऑनर्स में 48%. पढ़ाई शुरु की तो पहले प्रयास में #RAS अधीनस्थ सेवा में सिलेक्शन फिर #UPSC की सिविल सेवा में कुल 3 बार अंतिम रूप से चयनित हुआ।
वहीं, इस खबर को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम मीणा ने कहा कि पढ़ाई और परीक्षा को छात्र-छात्राओं को सहज में लेना चाहिए। इससे डरे नहीं मेहनत करें। अगर कई बार सफलता नहीं मिल पाती है तो वह हारे नहीं। उसके लिए फिर से मेहनत करें तो निश्चित रूप से उन्हें मंजिल मिलेगी। अभिभावक भी बच्चों को डराने की बजाए धमकाने के उनकी हौसला अफजाई करें। सकारात्मक सोच के साथ उनका साथ दें। ताकि वह सुसाइड जैसा कदम उठाने पर मजबूर नहीं हो।
छात्रा ने लिखा सुसाइड नोट-सॉरी मम्मी-पापा
सुसाइड नोट में लिखा-‘ आईएम सॉरी..पापा मम्मी, मुझसे नहीं हो पाएगा, मैं शायद 95 प्लस परसेंटेज नहीं ला पाऊंगी, मैं परेशान हो गई हूं। मुझसे अब और नहीं सहा जाता, आई लव यू पापा, मम्मी एंड ऋषभ, आईएम सो सॉरी...आपकी खुशबू’। छात्रा के पिता खुद भी टीचर हैं और सुसाइड नोट के मुताबिक छात्रा पर पढ़ाई का मानसिक तनाव ज्यादा था और यही आत्महत्या का कारण हो सकता है।
बच्चों पर ना बनाएं दबाव
हर साल बोर्ड की परीक्षाओं के समय या कंपटीशिन की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं की आत्महत्या की खबरें समाचारों की सुर्खियां बनती हैं, जिसके पीछे की वजह मन में असफलता का डर होता है। बच्चों पर बेवजह का मानसिक दबाव इसका सबसे बड़ा कारण है। बचपन से ही बेहतर रिजल्ट लाने और तभी सफलता मिलने की बातें और कहानियां सुनाई जाती हैं। हर बच्चे का दिमाग और रचनात्मतकता अलग-अलग होती है लेकिन उनपर हर परीक्षा में 100 में से 99 प्रतिशत अंक लाने के बाद ही बेहतर भविष्य का सपना दिखाया जाता है।
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