इसे कॉमेडी मत समझिएगा, मैं CM पद छोड़ना चाहता हूं... जानिए गहलोत ने क्यों कही ये बात?
इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसे लेकर कांग्रेस ने कमर कस ली है। काफी समय से पार्टी में जो अंदरुनी कलह चल रही थी उससे भी पार पा लिया है। ऐसे में गहलोत ने फिर से सीएम पद छोड़ने की बात कही है। उनके इस बयान के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ऐसा बयान दिया है जो चर्चा का विषय बन चुका है। सोमवार को उन्होंने खुद के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ‘बड़ा फकीर’ होने का दावा किया और एक बार फिर कहा कि वह मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहते हैं, लेकिन यह पद उन्हें नहीं छोड़ रहा है। साथ ही उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब आगे देखते हैं क्या होता है। बता दें कि गहलोत ने एक हफ्ते में 2 बार सीएम पद छोड़ने की बात कही है। उनके इस बयान के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
गहलोत बोले- 'हाईकमान का फैसला...'
गहलोत ने राजस्थान में नए जिलों के गठन पर जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में हुए समारोह का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि वह कई बार मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बारे में सोचते हैं, लेकिन यह पद उन्हें नहीं छोड़ रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अगर मैंने यह बात (उपरोक्त) बोली तो मैंने सोच-समझकर बोली। मन में आता है कई बार कि यह पद छोड़ दूं... क्यों आता है, वह एक रहस्य है। लेकिन हाईकमान जो फैसला करेगा, वह मुझे मंजूर होगा। यह कहने की हिम्मत होनी चाहिए कि मैं पद छोड़ना चाहता हूं, पर यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा है।’’
कौन होगा कांग्रेस का CM कैंडिडेट?
इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसे लेकर कांग्रेस ने कमर कस ली है। काफी समय से पार्टी में जो अंदरुनी कलह चल रही थी उससे भी पार पा लिया है। सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच रिश्तों में खटास को खत्म कर दिया है। लेकिन सचिन पायलट के साथ उनके पुराने टकराव और पिछले कुछ महीनों के दौरान कांग्रेस आलाकमान द्वारा दोनों के बीच सुलह के प्रयासों की पृष्ठभूमि में गहलोत के इस बयान को अहम माना जा रहा है। कांग्रेस नेतृत्व भी यह संकेत दे चुका है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा घोषित नहीं होगा।
2018 से ही जारी है गहलोत-पायलट के बीच विवाद
गहलोत और पायलट के बीच विवाद की शुरुआत साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद हुई थी। तब सचिन पायलट ने विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को सत्ता में दोबारा स्थापित करने के लिए कई चुनावी सभाएं की थी, जिसका फायदा भी कांग्रेस को मिला। नतीजे जब सामने आए तो लगा कि सचिन पायलट को सीएम पद मिलेगा, लेकिन पार्टी ने जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत पर दांव चला और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया। जबकि सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री का पद दिया गया। पायलट गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम जरूर थे, लेकिन आए दिन गहलोत और पायलट गुट के बीच बयानबाजी होती रहती थी।
2020 में पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ विद्रोह भी किया जिसके बाद से उन्हें राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया गया। इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में कांग्रेस ने पायलट और गहलोत के बीच सियासी टकराव को खत्म करने को लेकर कुछ दिन पहले अहम बैठक की थी। इसी में तय किया गया था कि कांग्रेस यह चुनाव बिना मुख्यमंत्री के चेहरे पर लडेगी।
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