भीलवाड़ा (राजस्थान): राज्स्थान के भीलवाड़ा शहर में रहने वाली दो वर्ष 10 माह की ऐसी मासूम बालिका जिसने अभी तक विद्यालय का मुंह तक नहीं देखा लेकिन मां द्वारा दी गयी शिक्षा से प्राप्त ज्ञान को सुनकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा लेता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं काशीपुर में रहने वाले जयप्रकाश सोडानी की पुत्री तक्शवी सोडानी की। इतनी छोटी उम्र में ही तक्शवी 138 देशों का फ्लैग देखकर नाम बताना, इंडिया का नक्शा बनाने के साथ हर राज्य की राजधानी व केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम भी बता देती है। इसके साथ ही तक्शवी को राष्ट्रगान,धार्मिक भजन भी याद है वह पक्षियों के नाम भी सुना देती है।
तक्शवी की खूबियां देखने जब हम उनके घर पहुंचे तो हम भी इस छोटी बालिका के ज्ञान को देखकर दंग रह गये। बालिका ने हाल ही में 4 मिनट 1 सेकेंड में 100 देशों के नाम फ्लैग देखकर सुना दिये। जिससे उसका नाम इंटरनेशन बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। आज बालिका अपने घर के आंगन में अपनी सीए तक पढ़ाई वाली मां गरीमा सोडानी के सामने पजल के माध्यम से भारत का नक्शा तैयार कर रही थी। उस दौरान बालिका अपनी मां को तमाम राज्यों के नाम और उनकी राजधानी के नाम भी बता रही थी। वहीं जब बालिका की मां 138 देशों के फ्लैग दिखा रही थी तो नन्हीं बालिका उस फ्लैग को देखकर उस देश का नाम बता रही थी। यही नहीं बालिका ने कैमरे के सामने राष्ट्रगान गाकर भारत माता के जयकारे भी लगाए। नन्हीं बालिका तक्शवी मासुमियत से बताती है कि उसे जानवरों और पक्षियों के नाम, इंडिया का मैप, फ्लैग्स देखकर देशों के नाम बता सकती हूं।
वहीं तक्शवी की सीए मां गरीमा सोडानी का कहना है कि अभी तक बालिका ने विद्यालय का मुंह तक नहीं देखा है लेकिन जून माह से ही मैं प्रतिदिन इसको पढ़ाती हूं और इसके समझने की शक्ति को देखकर मैं भी हैरान हूं। मुझे ज्यादा तक्शवी को समझाने की जरूरत नहीं होती है और वह जल्द ही सीख लेती है। अब तक उसे 138 देशों के नाम, भारत का पजल से नक्शा बनाना, राज्य और उनकी राजधानी के नाम सहित कई तरह की उसे जानकारी है। मैं लोगों से अपील करती हूं कि अपने बच्चों को बचपन से ही शिक्षा और अच्छे संस्कार देना शुरू कर देना चाहिए। बचपन में दिये गये संस्कार ही उनका भविष्य बनाते हैं। इसके साथ ही बच्चों को मोबाइल से भी दूर रखना चाहिए। तक्शवी के दादी प्रमिला सोडानी ने कहा कि हमें हमारी बहू गरीमा सोडानी पर नाज है कि उन्होंने इतनी छोटी उम्र की तक्शवी को भी अच्छी शिक्षा दी है। जब यह देशों के नाम और राष्ट्रगान गाती है तो हम गौरान्वित होते हैं। अब जरूरत है देश में ऐसे ही माता-पिता की जो अपनी संतान को अगर बाल्यकाल में अच्छी शिक्षा दें तो भारत की भावी पिढ़ी देश का नाम रोशन कर सकती है।