जिसे मरा समझ अंतिम संस्कार किया वह हफ्ते भर बाद जीवित लौटा
एक परिवार ने एक शव की पहचान अपने पारिवारिक सदस्य के रूप में करते हुए उसका अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन वे एक सप्ताह बाद तब भौचक्के रह गए जब वह व्यक्ति सही सलामत घर वापस लौट आया जिसे परिजनों ने मृत मान लिया था।
जयपुर: एक परिवार ने एक शव की पहचान अपने पारिवारिक सदस्य के रूप में करते हुए उसका अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन वे एक सप्ताह बाद तब भौचक्के रह गए जब वह व्यक्ति सही सलामत घर वापस लौट आया जिसे परिजनों ने मृत मान लिया था। मामला राजस्थान के राजसमंद जिले का है और सम्बद्ध अस्पताल ने माना है कि उसे नर्सिंग व मोर्चरी स्टाफ में तालमेल के अभाव व गलती के कारण ऐसा हुआ। पुलिस ने बताया कि यह घटना राजसमंद जिले की कांकरोली की है।
पुलिस के अनुसार शराब का आदी ओंकार लाल 11 मई को बिना परिवार को बताए उदयपुर चला गया और वहां उसे उसके लीवर में कुछ दिक्कत होने पर उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। उन्होंने बताया कि वहीं उसी दिन मोही इलाके से गोवर्धन प्रजापत को भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत के चलते 108 एंबुलेंस से आर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई और उसका शव मुर्दाघर में रखवाया गया।
कांकरोली के थाना प्रभारी योगेंद्र व्यास ने बताया, 'हमें अस्पताल अधिकारियों से एक पत्र मिला कि एक शव मुर्दाघर में तीन दिन से है और कोई वारिस सामने नहीं आया है। उन्होंने बताया कि हमने शव की पहचान के लिए फोटो भी जारी किया।' वहीं 15 मई को दर्जन भर लोग अस्पताल आए और उस शव को ओंकार लाल गडुलिया का बताया। पुलिस को इस बारे में सूचित किया गया और परिवार के सदस्यों ने लिखित में दिया कि शव का पोस्टमार्टम किए बिना ही उन्हें सौंप दिया जाए ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें।
शव के हाथ पर निशान व शारीरिक बनावट एक जैसी होने के कारण परिवार के सदस्यों ने गलती से शव को ओंकार लाल का मान लिया। पुलिस ने भी बिना पोस्टमार्टम व डीएनए टेस्ट करवाए शव उनको सौंप दिया। व्यास ने कहा कि अगर शव की पहचान न हो तो मेडिकल बोर्ड द्वारा उसका पोस्टमार्टम किया जाता है, डीएनए जांच करवाई जाती है। चूंकि शव की पहचान की गई और बिना पोस्टमार्टम के सौंपने का आग्रह किया गया था इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि इस शव का 15 मई को अंतिम संस्कार किया गया। ओंकार लाल के बच्चों ने शोक में सिर मुंडवा लिए लेकिन 23 मई को वे उस वक्त भौचक्क रह गए जब ओंकार लाल खुद घर पहुंचा गया । बाद में पुलिस जांच में सामने आया कि जिस शव का अंतिम संस्कार ओंकार लाल मानते हुआ किया गया वह दरअसल गोवर्धन प्रजापत का था। व्यास के अनुसार इसमें पुलिस की कोई गलती नहीं है क्योंकि अस्पताल के अधिकारियों ने शव को अज्ञात बताया था और सम्बद्ध लोगों ने उसकी पहचान कर उसे अपना परिजन बताया था।
इस बीच, अस्पताल के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि यह नर्सिंग और मुर्दाघर के कर्मचारियों की चूक है। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ ललित पुरोहित ने कहा,'बड़ी संख्या में रोगी आर रहे थे। 108 एंबुलेंस सेवा के जरिए उस मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह नर्सिंग और मुर्दाघर स्टाफ के बीच समन्वय की कमी का मामला है।' इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। पुलिस के अनुसार प्रजापत के तीन बच्चे थे जिन्हें उसकी तबीयत खराब होने के बाद शिशु कल्याणघर भेज दिया गया जबकि उसकी पत्नी उसे छोड़कर जा चुकी थी।
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