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Hindi News राजस्थान श्मशान घाट छोड़िए, उसके रास्ते पर भी दबंगों का कब्जा, मुर्दे को सड़क पर घंटों रखकर परिजन करते रहे इंतजार

श्मशान घाट छोड़िए, उसके रास्ते पर भी दबंगों का कब्जा, मुर्दे को सड़क पर घंटों रखकर परिजन करते रहे इंतजार

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की करेड़ा पंचायत मुख्यालय में एक शव यात्रा को श्मशान घाट के रास्ते पर घंटो इंतजार करना पड़ा क्योंकि मोक्ष धाम के रास्ते पर दबंगों का कब्जा था। इसके बाद प्रशासन ने आकर अतिक्रमण हटवाया।

Bhilwara- India TV Hindi Image Source : INDIA TV भीलवाड़ा में मोक्ष धाम के रास्ते पर कब्जा

भीलवाड़ा: इंसान को मरने के बाद 2 गज जमीन तो नसीब हो जाती है लेकिन अगर श्मशान घाट तक पहुंचने का रास्ता ही दबंगों ने कब्जा लिया हो तो मुर्दे को जलाने के लिए भी सड़क पर बैठकर घंटो इंतजार करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की करेड़ा पंचायत मुख्यालय से सामने आया है। यहां एक महिला की मृत्यु के बाद मोक्ष धाम का रास्ता अवरुद्ध होने के कारण उनके परिजन और ग्रामीणों को दाह संस्कार के लिए घंटों शव रखकर मोक्ष धाम जाने का इंतजार करना पड़ा। 

प्रशासनिक अधिकारी ने रास्ते से हटाया अतिक्रमण 
मामले की सूचना लगते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और मोक्ष धाम के रास्ते का अतिक्रमण हटाया। महिला की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए बुजुर्ग बाबूलाल ने कहा कि आज करेड़ा कस्बे में गाड़री समाज की महिला की मृत्यु हो गई है, जहां हम सब ग्रामवासी व परिवार जन महिला के शव को मोक्ष धाम लेकर जा रहे थे। लेकिन मोक्ष धाम के रास्ते में अतिक्रमण व पानी भरा होने के कारण रास्ता बिल्कुल अवरुद्ध था। जिसके कारण हमने शव को बीच रास्ते में रखकर प्रशासन को रास्ता खुलवाने की मांग की।

सूचना मिलते ही करेड़ा उपखंड अधिकारी नारायण लाल जीनगर, तहसीलदार रमेश चंद्र मीणा और थानाधिकारी ओमप्रकाश मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से समझाइश शुरू की। इसके बाद पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर ही जेसीबी मशीन बुलाकर रास्ते से अवरोध हटाया, तब जाकर महिला की अंतिम यात्रा मोक्ष धाम की ओर प्रस्थान कर सकी।

पहले भी प्रशासन से शिकायत कर चुके ग्रामीण
बता दें कि ग्रामीण कई बार प्रशासन को इसको लेकर ज्ञापन दे चुके हैं। अंतिम यात्रा में शामिल ग्रामीणों ने बताया कि हमने मोक्ष धाम के रास्ते पर अतिक्रमण होने को लेकर पूर्व में प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत करवाया था, लेकिन उन्होंने रास्ते से अतिक्रमण हटाना मुनासिब नहीं समझा। इसीलिए आज हमें भी अंतिम यात्रा में शव रखकर घंटो इंतजार करना पड़ा। अगर प्रशासन समय रहते अतिक्रमण हटा देता तो आज हमें इस दुख की घड़ी में ये सब नहीं झेलना पड़ता।

(रिपोर्ट- सोमदत्त त्रिपाठी)

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