सीवर टैंक की सफाई करने उतरे 3 मजदूरों की मौत, 2013 में कानून बनने के बावजूद मर रहे हाथ से मैला ढोने वाले मजदूर
2013 में बने कानून के अनुसार सुरक्षा उपकरणों के बिना किसी भी इंसान को सीवर टैंक में उतारना अपराध है, लेकिन इसके मामले थम नहीं रहे हैं। राजस्थान में हालत सबसे ज्यादा खराब है।
राजस्थान के भरतपुर जिले में सीवर टैंक की सफाई करने उतरे दो युवकों समेत तीन लोगों की जहरीली गैस के कारण मौत हो गई। पुलिस के अनुसार इन्हें बचाने के लिए टैंक में उतरे एक अन्य युवक की हालत गंभीर है। घटना गुरुवार को लखनपुर थाना क्षेत्र में हुई। युवक आकाश (25) और करण (22) एक घर में बने सेफ्टी टैंक की सफाई करने उतरे। सफाई के दौरान अचानक उनका दम घुटने लगा और वे मदद के लिए चिल्लाने लगे।
पुलिस के अनुसार, उन्हें बचाने के लिए भोलू, नरेश और इंद्र नीचे उतरे लेकिन जहरीली गैस के कारण वे भी बेहोश हो गए। टैंक के बगल में गड्ढा खोदा गया और टैंक का एक हिस्सा तोड़कर उन्हें बाहर निकाला गया। पीड़ितों को अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान आकाश, करण और भोलू की मौत हो गई, जबकि नरेश और इंद्र का इलाज चल रहा है।
सीएम भजनलाल ने किया ट्वीट
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर शोक जताते हुए 'एक्स' पर लिखा,‘‘संबंधित अधिकारियों को इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच व पीड़ित परिवार को हरसंभव राहत प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। मेरी संवेदनाएं मृतकों के परिजनों के साथ हैं।’’ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मुख्यमंत्री शर्मा के गृह जिले में हुए इस हादसे पर सवाल उठाते हुए पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। डोटासरा ने हादसे पर शोक जताते हुए 'एक्स' पर लिखा,‘‘बिना सुरक्षा के सीवर में किसी व्यक्ति को उतारना अपराध है। फिर मुख्यमंत्री जी के गृह जिले में ऐसी घोर लापरवाही की क्या वजह है?’’ उन्होंने लिखा,‘‘सरकार से अपेक्षा है कि मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे एवं मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दे।’’
2013 में बना था कानून
मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के अनुसार देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग अपराध है। नवंबर 2023 तक, देश के 766 जिलों में से 714 जिलों ने खुद को मैनुअल स्कैवेंजिंग-मुक्त बताया था। हालांकि, कई राज्यों में यह अभी भी जारी है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने संसद में इससे जुड़े सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि 2018 में सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई करते समय 76 मौतें हुईं, 2019 में 133, 2020 में 35, 2021 में 66, 2022 में 84 और 2023 में 49 मौतें हुईं। 2023 में सबसे ज्यादा 10 मामले राजस्थान से सामने आए। गुजरात (नौ), महाराष्ट्र और तमिलनाडु (सात-सात), पश्चिम बंगाल (तीन), बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा (दो-दो) और पंजाब और झारखंड (एक-एक) मामले सामने आए।
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