चंडीगढ़ः केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने शनिवार को किसान नेताओं के स्वामित्व वाली भूमि और संपत्तियों की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि हम कई किसान नेताओं की जमीन और संपत्ति की जांच कराएंगे। नेता बनने से पहले उनके (किसान नेताओं) के पास कितनी जमीन थी और अब उनके पास कितनी जमीन और संपत्ति है। कौन सा किसान नेता आढ़तिया नहीं है या चावल सेलर नहीं है। हम उपचुनाव के बाद इस बारे में बात करेंगे।
किसान नेताओं पर बोला हमला
उन्होंने दावा किया कि कई किसान या तो आढ़ती हैं या फिर चावल मिल मालिक हैं। केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी तब आई जब उन्होंने भाजपा और उसके नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए किसान नेताओं पर हमला बोला और दावा किया कि आम किसान उनकी पार्टी के खिलाफ नहीं है।
बिट्टू ने प्रदर्शनकारियों पर उठाए सवाल
बिट्टू ने मुक्तसर जिले में संवाददाताओं से पूछा कि किसानों को इस (विरोध) के लिए समय कहां मिलता है? उन्हें 'मंडियों' में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद वे गेहूं की बुआई में व्यस्त हो जाएंगे। उनके पास समय कहां है? उन्होंने आरोप लगाया कि किसान नेता ही विरोध प्रदर्शन करते हैं। आम किसान विरोध प्रदर्शन में नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में किसान भाजपा को वोट देंगे। वे जानते हैं कि यदि कोई सुधार लाया जा सकता है, तो यह केंद्र द्वारा किया जा सकता है।
सरवन सिंह पंधेर ने दी केंद्रीय मंत्री को चुनौती
इस बीच, किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने बिट्टू को किसान नेताओं की संपत्तियों की जांच करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि हम आपके बयानों से नहीं डरते। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों को डीएपी उर्वरक नहीं मिल रहा है। पंजाब की सत्तारूढ़ आप ने भी बिट्टू के बयान की निंदा की और उनसे पूछा कि क्या भाजपा अब यह जांच करने का इरादा रखती है कि राज्य के किसान अपना पेट कैसे भर रहे हैं। आप प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि भाजपा पंजाब के किसानों को परेशान करने, झूठे आरोप लगाने और उन्हें बदनाम करने के लिए अफवाहें फैलाने की राजनीति कर रही है।
दरअसल, पंजाब में किसानों ने हाल ही में धान उठाने में देरी और डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की कमी का आरोप लगाते हुए भाजपा और उसके नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हाल ही में आरोप लगाया था कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में किसानों को उर्वरक पाने के लिए कतारों में खड़ा होना पड़ता है।