किसान संगठनों ने एक बार फिर दिल्ली कूच करने का ऐलान कर दिया है। किसानों को दिल्ली की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस के आलाधिकारी बॉर्डर में मौजूद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों को राजमार्गों को बाधित न करने और लोगों को असुविधा न पहुंचाने के लिए मनाएं।
लंबित मामले पर किया जा रहा विचार
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'हमने देखा है कि डल्लेवाल को रिहा कर दिया गया है। उन्होंने शनिवार को एक साथी प्रदर्शनकारी को अपना आमरण अनशन खत्म करने के लिए राजी भी किया।' इसके साथ ही पीठ ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दे को अदालत ने नोट किया है। लंबित मामले में इस पर विचार किया जा रहा है।
खनौरी सीमा पंजाब के लिए लाइफ लाइन- SC
पीठ ने डल्लेवाल की ओर से पेश वकील गुनिन्दर कौर गिल से कहा, 'लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन लोगों को असुविधा न पहुंचाएं। आप सभी जानते हैं कि खनौरी सीमा पंजाब के लिए लाइफ लाइन है। हम इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे कि विरोध सही है या गलत है।'
शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए करें राजी
सुप्रीम कोर्ट के जज कांत ने कहा कि किसान नेता डल्लेवाल प्रदर्शनकारियों को कानून के तहत शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए राजी कर सकते हैं। वह लोगों को कोई असुविधा नहीं पहुंचा सकते हैं। पीठ ने कहा कि इस समय वह डल्लेवाल की याचिका पर विचार नहीं कर रही है, लेकिन वह बाद में संपर्क कर सकते हैं।
29 नवंबर को कोर्ट में डाली गई याचिका
बता दें कि 26 नवंबर को आमरण अनशन शुरू करने से कुछ घंटे पहले डल्लेवाल को कथित तौर पर खनौरी सीमा से जबरन हटाकर लुधियाना के एक अस्पताल में ले जाया गया था। शुक्रवार शाम को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। पंजाब पुलिस द्वारा उनकी कथित अवैध हिरासत को चुनौती देते हुए 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
13 फरवरी से किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर हैं जमा
रिहा होने के एक दिन बाद 30 नवंबर को डल्लेवाल किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए खनौरी सीमा बिंदु पर आमरण अनशन में शामिल हो गए। सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।
पीटीआई के इनपुट के साथ