चंडीगढ़: किसान नेताओं ने दिन भर चले विरोध प्रदर्शन के बीच नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना की है। किसान नेताओं ने दावा किया कि दिल्ली की ओर कूच कर रहे प्रदर्शनकारियों पर अंबाला के पास आंसू गैस के गोले छोड़कर हमला किया गया। इस हमले में 60 लोग घायल हो गए। उनका कहना है कि पंजाब के किसानों को दो सीमा बिंदुओं पर आंसू गैस के गोले का सामना करना पड़ा, जिनमें से कुछ ड्रोन द्वारा गिराए गए। यह तब हुआ जब किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने की कोशिश के दौरान हरियाणा पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधकों को तोड़ने का प्रयास किया।
भारत के इतिहास में काला दिन
शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि ‘‘भारत के इतिहास में आज का दिन काला दिन है। जिस तरह से मोदी सरकार ने किसानों और खेतिहर मजदूरों पर हमला किया, वह शर्मनाक है।’’ पंधेर ने कहा कि ''आज भी हम कहते हैं कि हम देश के किसान और मजदूर हैं तथा हम कोई लड़ाई नहीं चाहते।'' उन्होंने एमएसपी और कर्ज माफी की कानूनी गारंटी की किसानों की मांग दोहराई। पंधेर ने आगे कहा कि जब किसी ने उनकी बात नहीं सुनी तो किसानों को सड़कों पर उतरने और दिल्ली तक मार्च करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है। उन्होंने कहा कि "अभी शाम हो गई है। हम अपने युवाओं से कहेंगे कि दोनों तरफ से संघर्ष रुकना चाहिए। कल हम फिर देखेंगे।"
60 युवा किसानों के घायल होने का दावा
एक अन्य किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने दावा किया कि पुलिस कार्रवाई में लगभग 60 युवा किसान घायल हो गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले डल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की मांगों के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है। उन्होंने कहा कि "हम अपने विचार रखना चाहते हैं। कोई नई मांग नहीं है और ये सरकार द्वारा की गई प्रतिबद्धताएं हैं।" केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के इस बयान का जिक्र करते हुए कि सोमवार को बैठक के दौरान अधिकतर मांगों पर सहमति बन गई थी। डल्लेवाल ने कहा कि एक भी मांग स्वीकार नहीं की गई।
(इनपुट- भाषा)
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