अगर आप नौकरी करते हैं तो आपके एचआर डिपार्टमेंट से नई या पुरानी कर व्यवस्था में से किसी एक को चुनने के लिए मेल आ गया होगा। अगर नहीं आया होगा तो जल्द ही आने वाला होगा। ऐसे में बड़ा सवाल है कि कौन सही कर व्यवस्था चुनना सही होगा। टैक्स एक्सपर्ट के अनुसार, अगर किसी की सैलरी 7.50 लाख रुपये तक है तो उसके लिए नई कर व्यस्था का चुनाव करना फायदेमेंद होगा क्योंकि नई कर व्यवस्था में 7 लाख तक की आय को पूरी तरह से कर मुक्त कर दिया है। वहीं, अगर इससे अधिक आय है तो पुरानी कर व्यवस्था चुनना सही होगा। आइए जानते हैं कि अगर आपकी सैलरी 10 लाख रुपये तक है तो कौन सी कर व्यवस्था का चुनाव करना सही होगा।
दोनों कर व्यवस्था में इनकम टैक्स की दर
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अगर सालाना आय 10 लाख तक ऐसे बच सकते हैं टैक्स देने से...
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पुरानी कर व्यवस्था में इस तरह कर सकते हैं बचत
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कर व्यस्था चुनने से पहले टैक्स की गणना कर लें
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन ने इंडिया टीवी को बताया कि नई या पुरानी कर व्यवस्था का चुनाव करने से पहले हर व्यक्तिगत करदाता को अपना टैक्स लायबिलिटी और टैक्स सेविंग को देखना चाहिए। अगर, उसे लगता है कि उसकी सैलरी के अनुसार, उसने टैक्स बचत के लिए निवेश किए हैं तो उसे पुरानी कर व्यवस्था चुनना चाहिए। अगर वह बचत नहीं कर पा रहा तो दोनों कर व्यवस्था में मिलकार देखना चाहिए कि उसे कहां अधिक बचत हो रही है। फिर आईटीआर भरते समय वह नई या पुरानी कर व्यवस्था का चुनाव कर सकता है। नई या पुरानी कर व्यवस्था चुनने के लिए कोई फिक्स नियम है। यह करदाता तो करदता डिपेंड करेगा। इसलिए हर करदाता को अपने इनकम के अनुसार, कर व्यवस्था चुनना बेहतर होगा।
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