इनकम टैक्स बचाने के लिए अब देर करना सही नहीं है। दिसंबर का महीना चल रहा है। आप 31 मार्च तक निवेश कर आयकर छूट पा सकते हैं। अब सवाल उठता है कि टैक्स सेविंग के लिए 5 साल की FD सही है या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम। आपको बता दें कि इन दोनों में आयकर की धारा 80सी के तहत एक वित्त में ₹1.5 लाख तक के निवेश पर कर छूट मिलती है। आइए जानते हैं कि निवेशकों को इनकम टैक्स छूट पाने और निवेश के लिए इन दोनों में से क्या चुनना चाहिए?
जोखिम लेने की क्षमता
आम निवेशकों के बीच टैक्स छूट पाने के लिए FD सबसे लोकप्रिय माध्यम है। ऐसा इसलिए कि इसमें निवेश पर जोखिम बिल्कुल नहीं होता है और एक फिक्स रिटर्न मिलता है। वहीं, ELSS, इक्विटी-लिंक्ड होने के कारण, इसमें जोखिम होता है। रिटर्न फिक्स नहीं होता है। हालांकि मार्केट से जुड़ी होने के चलते इसमें एफडी के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलता है।
ईएलएसएस बनाम एफडी पर रिटर्न
एफडी से मिलने वाला रिटर्न निश्चित होता है और आमतौर पर सालाना 5%-7% के बीच होता है। हालांकि, इन रिटर्न पर कर लगता है, जिसका मतलब है कि 30% के उच्चतम कर ब्रैकेट में आने वालों के लिए रिटर्न बहुत कम होता है। वहीं, दूसरी ओर, ELSS फंड में ज्यादा रिटर्न भी मिलता है। साथ ही ₹1 लाख से अधिक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) पर 10% कर लगाया जाता है।
लॉक-इन अवधि
FD में 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है। वहीं, ELSS में 3 साल की छोटी लॉक-इन अवधि होती है, जिसमें इस अवधि से आगे भी निवेशित रहने या उसके बाद कभी भी भुनाने की सुविधा होती है। ELSS की लचीलापन उन लोगों के लिए आकर्षक हो सकती है जो अपेक्षाकृत कम लॉक-इन की तलाश में हैं।
न्यूनतम निवेश राशि
ELSS योजना में न्यूनतम निवेश राशि ₹500 है, जो इसे कई तरह के निवेशकों के लिए आसान है। हालांकि, कर-बचत FD में न्यूनतम ₹10,000 का निवेश आवश्यक है। ईएलएसएस व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के माध्यम से लचीलापन भी प्रदान करता है, जिससे निवेशकों को अपने निवेश को फैलाने और अपनी बचत रणनीति में अनुशासन बनाने की अनुमति मिलती है।
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