ऑनलाइन गेमिंग का जुनून यूजर्स पर इस कदर हावी है कि वह इन सेवाओं के बदले 28 प्रतिशत टैक्स बिंदास होकर चुका रहे हैं। उन्हें इससे कोई गुरेज नहीं है। ताजा आंकड़े तो यही गवाही दे रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 1 अक्टूबर 2023 से छह महीने में ऑनलाइन गेमिंग से जीएसटी कलेक्शन में 412 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक में बीते सोमवार को लिए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए सीतारमण ने कहा कि 28 प्रतिशत जीएसटी लागू होने के छह महीने बाद कैसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और घुड़दौड़ से राजस्व संग्रह की स्थिति परिषद को प्रस्तुत की गई।
जीएसटी कलेक्शन हैरान करने वाला
खबर के मुताबिक, निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग से राजस्व में 412 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह सिर्फ छह महीने में 6,909 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। ऑनलाइन गेमिंग पर नोटिफिकेशन जारी होने से पहले यह 1,349 करोड़ रुपये था। 1 अक्टूबर 2023 से, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म और कैसीनो पर लगाए गए एंट्री-लेवल दांव 28 प्रतिशत जीएसटी के अधीन होंगे। इससे पहले, कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां 28 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान नहीं कर रही थीं, उनका तर्क था कि कौशल के खेल और मौके के खेल के लिए अलग-अलग टैक्स दरें हैं।
ऑनलाइन गेमिंग पर लिया गया था ये फैसला
अगस्त 2023 में अपनी बैठक में जीएसटी परिषद ने स्पष्ट किया था कि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को 28 प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा और बाद में कराधान प्रावधान को स्पष्ट करने के लिए केंद्रीय जीएसटी कानून में संशोधन किया गया था। ऑफशोर गेमिंग प्लेटफॉर्म को भी जीएसटी अधिकारियों के साथ रजिस्ट्रेशन करना और टैक्स का भुगतान करना अनिवार्य था, ऐसा न करने पर सरकार उन साइटों को ब्लॉक कर देगी। परिषद ने तब फैसला लिया था कि ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र पर कराधान की समीक्षा इसके कार्यान्वयन के छह महीने बाद की जाएगी।
कैसीनो के लिए जीएसटी कलेक्शन भी तेज बढ़ा
खबर के मुताबिक, इसी तरह कैसीनो के लिए, उन्होंने कहा कि निर्णय से पहले छह महीनों में राजस्व 164.6 करोड़ रुपये से 30 प्रतिशत बढ़कर निर्णय के बाद छह महीने में 214 करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने आगे कहा कि रियल एस्टेट पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने भी अपनी स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की। जीएसटी परिषद ने सरकारी संस्था या अनुसंधान संघ, विश्वविद्यालय, कॉलेज या अन्य संस्थान द्वारा सरकारी या निजी अनुदान का उपयोग करके अनुसंधान और विकास सेवाओं की आपूर्ति को छूट देने की सिफारिश की।
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