केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि आयकर कानून (आयकर अधिनियम 1961) की समीक्षा का काम छह महीने की तय समय-सीमा में पूरा कर लिया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि देश के प्रत्यक्ष कर कानून की समीक्षा की जाएगी ताकि इसे सरल बनाया जा सके। पीटीआई की खबर के मुताबिक, अग्रवाल ने भारत में आयकर के 165वें वर्ष के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, हमारे पास एक महत्वपूर्ण काम है और वह है आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा।
कानून की समीक्षा का मकसद
खबर के मुताबिक, आयकर अधिनियम, 1961 की समीक्षा का मकसद कानून को संक्षिप्त, सुबोध और पढ़ने और समझने में आसान बनाना है। इस अभ्यास का मकसद मुकदमेबाजी को कम करना और करदाताओं को टैक्स निश्चितता प्रदान करना है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के प्रमुख ने कहा कि यह कार्य चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद परिवर्तनकारी है और हमने इस कार्य को मिशन मोड में लिया है। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित वित्त मंत्री को आश्वासन दिया कि यह कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूरा कर लिया जाएगा।
58.57 लाख आईटीआर पहली बार दाखिल हुए
अग्रवाल ने यह भी कहा कि आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की नई व्यवस्था को व्यापक स्वीकृति मिल रही है क्योंकि इस बार 72 प्रतिशत करदाताओं ने इसे चुना है। उन्होंने कहा कि 31 जुलाई तक 58. 57 लाख पहली बार आईटीआर दाखिल करने वाले लोग थे। अध्यक्ष ने आगे कहा कि फेसलेस व्यवस्था के तहत अब तक कुल 6. 76 लाख आयकर आकलन पूरे हो चुके हैं, जबकि जुलाई तक 2. 83 लाख अपीलों को आखिर रूप दिया गया। अग्रवाल ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में प्रदर्शन संतोषजनक रहा है क्योंकि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 19. 58 लाख करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में मजबूत 17. 70 प्रतिशत अधिक है।
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