LTCG टैक्स के बारे में जानिए यहां सबकुछ, देखिए कैसे होगी इसकी गणना और कितना देना होगा आपको टैक्स
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (दीर्घावधि पूंजीगत लाभ) पर भी अब टैक्स देना होगा। अभी तक यह टैक्स फ्री था। इंडिया टीवी पैसा टीम आपको यहां विस्तार से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के बारे में पूरी जानकारी दे रही है
नई दिल्ली। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (दीर्घावधि पूंजीगत लाभ) पर भी अब टैक्स देना होगा। अभी तक यह टैक्स फ्री था। इंडिया टीवी पैसा टीम आपको यहां विस्तार से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के बारे में पूरी जानकारी दे रही है, जिसे पढ़कर आप इसे अच्छी तरह समझ सकते हैं और अपने टैक्स की गणना कर सकते हैं।
क्या है लॉंन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) टैक्स?
यह वह टैक्स है जो एक संपत्ति जैसे रियल एस्टेट, शेयर या शेयर जनित उत्पादों को एक निश्चित समय तक अपने पास रखने से उत्पन्न लाभ पर देना होता है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस, या एलटीसीजी, की परिभाषा अलग-अलग उत्पादों के लिए भिन्न-भिन्न है।
एलटीसीजी टैक्स अभी चर्चा में क्यों है?
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में शेयर पर एलटीसीजी टैक्स को फिर से लगाने की घोषणा की है। निवेशकों को अब शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम को एक साल के बाद बेचने पर 1 लाख रुपए से अधिक के लाभ पर 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा।
अभी तक एलटीसीजी टैक्स फ्री था। टैक्स के लिए शेयर में लॉन्ग टर्म इनवेस्टर की परिभाषा है एक साल। शेयर पर एलटीसीजी टैक्स को 2004-05 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा खत्म किया गया था।
बजट चर्चा में एलटीसीजी में ग्रांडफादरिंग का जिक्र किया गया है, ये क्या है?
ग्रांडफादरिंग नियम वह छूट है जो मौजूदा निवेशकों या नए कानून के लागू होने से पहले उनके द्वारा कमाए गए लाभ को टैक्स से छूट प्रदान करता है। जब भी सरकार कठोर टैक्स कानून लागू करती है तब यह सुनिश्चित किया जाता है कि ऐसे निवेशकों, जिन्होंने सरल टैक्स व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए निवेश किया है, के हित सुरक्षित रहें। शेयर पर एलटीसीजी टैक्स के मामले में, सरकार ने कहा है कि 31 जनवरी तक शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड पर हासिल किया गया लाभ टैक्स मुक्त होगा।
नए एलटीसीजी टैक्स के दायरे में कौन लोग आएंगे?
बजट में प्रस्ताव किया गया है कि एलटीसीजी टैक्स 31 मार्च के बाद होने वाले लाभ पर देय होगा। पीडब्ल्यूसी के लीडर, इंडिया टैक्स और रेगूलेटरी, गौतम मेहरा कहते हैं कि इसका मतलब है कि मार्च तक शेयरों की बिक्री पर मौजूदा कानून ही लागू होगा और यह नया टैक्स नहीं देना होगा। संक्षेप में, यदि आप एक साल से अधिक समय से रखे किसी शेयर को 31 मार्च से पहले बेचते हैं, तो आपको टैक्स नहीं देना होगा। इसलिए फरवरी और मार्च में शेयर बेचने वालों को टैक्स की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि यदि आप इसे एक अप्रैल या इसके बाद बेचते हैं तो आपको होने वाले लाभ पर एलटीसीजी टैक्स देना होगा।
और हां, यह टैक्स केवल तभी देय होगा जब एक वित्त वर्ष में आपका दीर्घावधि पूंजीगत लाभ एक लाख रुपए से अधिक होगा। यदि एक निवेशक एक साल में 150,000 रुपए का दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कमाता है तो एलटीसीजी टैक्स केवल 50,000 रुपए पर देय होगा।
31 जनवरी तक लाभ टैक्स मुक्त है तो फिर एलटीसीजी की गणना कैसे की जाएगी?
यदि एक निवेशक एक साल से अधिक समय से अपने पास रखे हुए शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड को एक अप्रैल के बाद बेचता है तो एलटीसीजी टैक्स की गणना खरीद मूल्य या 31 जनवरी को क्लोजिंग प्राइस, जो भी अधिक होगा उसके आधार पर की जाएगी। इसे उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए एक शेयर को 15 जनवरी 2017 को 100 रुपए में खरीदा गया और 31 जनवरी 2018 को इसका बंद भाव 200 रुपए है। यदि इसे 31 मार्च के बाद बेचा जाता है तो एलटीसीजी टैक्स की गणना 31 जनवरी को बंद भाव के आधार पर की जाएगी, जो कि अधिक है।