अप्रैल से अबतक 1.21 लाख करोड़ रुपए का टैक्स हुआ रिफंड, 36 लाख करदाताओं को मिला फायदा
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक ट्वीट में कहा कि सीबीडीटी ने 1 अप्रैल से 6 अक्टूबर के बीच 35.93 लाख से अधिक करदाताओं को 1,21,607 करोड़ रुपए का रिफंड जारी किया है।
नई दिल्ली। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 36 लाख करदाताओं को 1.21 लाख करोड़ रुपए से अधिक का टैक्स रिफंड किया है। सीबीडीटी ने 34 लाख से अधिक मामलों में 33,000 करोड़ रुपए से अधिक का इनकम टैक्स रिफंड जारी किया है। 1.83 लाख मामलों में सीबीडीटी ने 88,000 करोड़ रुपए से अधिक का कॉरपोरेट टैक्स रिफंड किया है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक ट्वीट में कहा कि सीबीडीटी ने 1 अप्रैल से 6 अक्टूबर के बीच 35.93 लाख से अधिक करदाताओं को 1,21,607 करोड़ रुपए का रिफंड जारी किया है। इसमें आगे कहा गया है कि 34,09,246 मामलों में 33,238 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स रिफंड जारी किया गया है। वहीं 1,83,773 मामलों में 88,370 करोड़ रुपए का कॉरपोरेट टैक्स रिफंड किया गया है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सभी तरह के रिफंड को शीघ्रता से जारी करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
30 नंवबर तक कर सकते हैं आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की समय सीमा बढ़ाकर 30 नवंबर, 2020 तक कर दी है। टैक्सपेयर्स अपना ITR अब 30 नवंबर, 2020 तक फाइल कर सकते हैं। आईटीआर फाइल करने के लिए आपको कई डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी और रिटर्न फाइल करते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा। फॉर्म में गलतियां करना महंगा पड़ सकता है। इनकम टैक्स विभाग की ई-फाइलिंग से आसानी से ऑनलाइन ITR फाइल किया जा सकता है।
इन डॉक्यूमेंट्स को रखें तैयार
फॉर्म 16 : जॉब करने वाले लोगों को उनकी नियोक्ता कंपनी फॉर्म 16 देती है। इसमें एक वित्त वर्ष के दौरान काटा गया टैक्स और आय का लेखाजोखा होता है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय नौकरीपेशा के लिए फॉर्म 16 सबसे जरूरी है। इसके बिना ITR फाइल करना बेहद मुश्किल हो जाता है। फॉर्म के पार्ट-ए में नियोक्त की ओर से काटे गए टैक्स का विवरण होता है। इसमें आपका नाम, पता और पैन एवं एंप्लॉयर का टैन नंबर होता है। आपके पैन पर सरकार के पास कितना टैक्स जमा हुआ है, उसका तिमाही ब्योरा होता है। साथ ही यह भी दर्ज होता है कि आपकी सैलरी से कितना टैक्स काटा गया है। वहीं पार्ट-बी में आपकी आय का ब्योरा होता है। ITR में जिस फॉरमैट में ब्योरा भरना होता है, पार्ट-बी में उसी फॉरमैट में आय का ब्योरा मिल जाता है। इससे ITR फाइल करने में आसानी होती है।
फॉर्म 26AS: इस फॉर्म में इनकम से काटे गए टैक्स की डिटेल होती है। साथ ही भुगतान किए गए सभी टैक्स और रिफंड की भी जानकारी होती है। इस फॉर्म के जरिये भुगतान किए गए टैक्स की डिटेल्स, एडवांस टैक्स या सेल्फ असेस्मेंट टैक्स भी उपलब्ध कराया जाता है। इससे टैक्सपेयर को आपको यह वेरिफाई करने में मदद मिलती है कि नियोक्ता कंपनी, बैंक या टैक्स भुगतान करने वाले ने सरकार के पास टैक्स डिपॉजिट किया है या नहीं।