Income Tax Return फाइल करने में बचे हैं बस 10 दिन, इसके बाद देना होगा 10,000 रुपये का जुर्माना
लास्ट डेट से पहले ITR फाइल करने के कई फायदे हैं। समय से पहले ITR दाखिल करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी प्रकार की गलती होने पर इसे सुधारने का मौका मिल जाता है और टैक्सपेयर पेनाल्टी और नोटिस से बच जाते हैं।
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2019-20 और आंकलन वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2020 है। अगर आपने अब तक AY2020-21 के लिए ITR दाखिल नहीं किया हा तो जल्दी करें। लास्ट डेट से पहले ITR फाइल करने के कई फायदे हैं। समय से पहले ITR दाखिल करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी प्रकार की गलती होने पर इसे सुधारने का मौका मिल जाता है और टैक्सपेयर पेनाल्टी और नोटिस से बच जाते हैं। इसकी दूसरा फायदा यह है टैक्सपेयर्स को जल्दी इनकम टैक्स रिफंड मिल जाता है। देरी से आईटीआर फाइल करने पर एक तरफ इनकम टैक्स में छूट का कम लाभ मिलता है तो दूसरी तरफ टैक्सपेयर पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
भरना पड़ेगा ब्याज
टैक्सपेयर्स को देरी से आईटीआर फाइल करने पर सिर्फ नुकसान ही होगा। देरी से रिटर्न फाइल करने पर टैकसपेयर्स हाउस प्रॉपर्टी को हुए नुकसान के अलावा किसी भी तरह की क्षति को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकते हैं। आयकर कानून की धारा-234A के तहत करदाता को 1 फीसदी की साधारण दर से हर महीने ब्याज भी चुकाना होगा।
10,000 रुपये तक का जुर्माना
केंद्र सरकार ने देरी से आईटीआर फाइल करने पर बिलंब शुल्क वसूलने की व्यवस्था दी है। वित्त वर्ष 2018-19 से ये व्यवस्था लागू कर दी गई है। इसके तहत अगर कोई टैक्सपेयर तय तारीख के बाद, लेकिन 31 दिसंबर से पहले आईटीआर फाइल करता है तो उससे 5,000 रुपये लेट फाइलिंग फी वसूली जाएगी। वहीं, अगर रिटर्न 31 दिसंबर के बाद फाइल किया जाता है तो करदाता को 10,000 रुपये बिलंब शुल्क का भुगतान करना होगा। हालांकि, अगर करदाता की सालाना इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है तो लेट फीस के तौर पर 1,000 रुपये से ज्यादा नहीं वसूला जा सकता है।
नहीं मिलेगा टैक्स छूट का लाभ
आईटीआर फाइल करने में देरी के कारण करदाता को जुर्माना भरने के साथ ही कई तरह की इनकम टैक्स छूट से भी हाथ धोना पड़ेगा। इनमें आयकर कानून की धारा-10A और धारा-10B के तहत मिलने वाली छूट नहीं मिल पाएगी। वहीं, धारा-80IA, 80IAB, 80IC, 80ID और 80IE के तहत मिलने वाली छूट से भी हाथ धोना पड़ेगा। इसके अलावा देरी से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के कारण करदाता को आयकर कानून की धारा-80IAC, 80IBA, 80JJA, 80JJAA, 80LA, 80P, 80PA, 80QQB और 80RRB के तहत मिलने वाले डिडक्शन का लाभ भी नहीं मिलेगा।
कई लोगों को ITR फाइल करने में परेशानी होती है। आप इन 10 टिप्स के जरिये बिना किसी परेशानी के आसानी से ITR फाइल कर सकते हैं…
FY20 का फॉर्म 26AS डाउनलोड करें
ITR फॉर्म 26AS में वित्त वर्ष 2019-20 में हुए फिक्स्ड इनकम और TDS की पूरी जानकारी होती है। साथ ही इसमें वित्त वर्ष 2019-20 के लिए चुकाए गए एडवांस टैक्स (Advance Tax) की भी जानकारी होती है। इसके अलावा इसमें अचल संपत्ति यानी फिक्स्ड एसेट के लेन-देन, क्रेडिट कार्ड की निर्धारित सीमा से अधिक के पेमेंट्स आदि की जानकारी होती है। ITR में अगर फॉर्म 26AS में दी गई जानकारी से अलग जानकारी दी जाती है तो इनकम विभाग टैक्सपेयर को नोटिस भेजकर जवाब मांगता है। इसलिए जरूरी है कि ITR फाइल करने से पहले डिटेल्स को फॉर्म 26AS मिला लें।
FY19 का टैक्स रिटर्न डाउनलोड करें
AY2020-21 के लिए ITR फाइल करने से पहले वित्त वर्ष 2018-19 का टैक्स रिटर्न डाउनलोड कर लें। इससे ITR फाइल करने के लिए सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स की सूची बनाना आसान हो जाएगा। इसमें बैंक स्टेंटमेंट, इंटरेस्ट सर्टिफिकेट्स के अलावा अगर कोई फॉर्वर्ड लॉस है तो उसकी जानकारी होती है। इनकम टैक्स एक्ट के फॉर्वर्ड लॉस को गेन्स से ऑफसेट किया जा सकता है।
रेजिडेंशियल स्टेट्स की जानकारी रखें
इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक, किसी व्यक्ति के रेजिडेंशियल स्टेटस के आधार पर उसकी टैक्स देनदारी (Tax liability) निर्धारित की जाती है। अगर कोई व्यक्ति अधिकतर समय देश में ही रहे हैं और कुछ समय के लिए विदेश यात्रा पर गया हो तो तो उन्हें यहीं का नागरिक माना जाएगा और उनकी ग्लोबल इनकम पर टैक्स की देनदारी बनेगी। अगर टैक्सपेयर की आय विदेश से भी हुई है तो उस पर टैक्स चुकाना होगा। वहीं, अगर कोई भारतीय अधिकतर समय विदेशों में रहा है तो वह नॉन-रेजिडेंट या रेजिडेंट हो सकता है, लेकिन ऑर्डिनरी रेजिडेंट नहीं रहेगा और उसकी सिर्फ उसी इनकम पर टैक्स देनदारी बनेगी जो भारत में हुई है।
सही टैक्स फॉर्म चुनें
सही टैक्स फॉर्म का चयन ITR फाइल करने के लिए सबसे ज्याजा जरूरी है। अगर आपने गलत टैक्स फॉर्म चुन लिया तो आपका ITR अवैध माना जाएगा। आप अपने इनकम, कैटेगरी, रेसिडेंशियल स्टेटस के आधार पर सही टैक्स फॉर्म का चुनाव करें। इससे ITR फाइल करने का बाद यह इनवैलिड नहीं होगा और आप नोटिस मिलने से बच जाएंगे। साथ ही समय पर आपको टैक्स रिफंड मिल जाएगा।
सभी जानकारियां सही-सही भरें
इनकम टैक्स विभाग के कर्मचारी कोई कन्फ्यूजन होने पर टैक्सपेयर्स से उनके द्वारा ITR फॉर्म में भरे गए ई-मेल एड्रेस, मोबाइल नंबर आदि डिटेल्स के जरिये संपर्क करते हैं। इसलिए अपने कम्युनिकेशन एड्रेस के साथ ई-मेल एड्रेस और कांटैक्ट नंबर भी वेरिफाई करें। साथ ही टैक्सपेयर इनकम टैक्स के पोर्टल पर भी अपने प्रोफाइल पेज पर ये जानकारियां अपडेट कर दें।
ये डॉक्यूमेंट्स तैयार रखें
ITR फाइल करने से पहले फॉर्म 16, रेंटल एग्रीमेंट्स, प्रॉपर्टी टैक्स रिसीट्स, होम लोन के लिए इंटरेस्ट सर्टिफिकेट, बैंक स्टेटमेंट, बैंक लोन के इंटरेस्ट सर्टिफिकेट, कैपिटल गेन स्टेटमेंट, टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट्स (मेडीक्लेम, इंश्योरेंस प्रीमियम, डोनेशंस आदि) जैसे डॉक्यूमेंट्स तैयार रखें। बैंक स्टेटमेंट को जरूर चेक कर लें कि कोई इनकम या एसेट टैक्स रिटर्न में दिखाने से छूट तो नहीं गया है। साथ ही सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला इंटरेस्ट भी दिखाएं।
टैक्स छूट को भी दर्ज करें
इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक, टैक्स छूट वाले एसेट्स पर टैक्स नहीं चुकाना होता है। इसके बावजूद इस आय को टैक्स रिटर्न में दिखाना चाहिए। इस प्रकार की आय के लिए प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन जरूरी ह, क्योंकि अगर यह राशि अधिक हो जाती है तो टैक्स अथॉरिटी स्क्रूटनी भी कर सकते हैं।
बैंक अकाउंट का प्री-वैलिडेशन जरूरी
इनकम टैक्स अधिकारी उन्हीं बैंक अकाउंट में टैक्स रिफंड करते हैं, जो बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेटेड होते हैं। इसलिए ITR फाइल करने से पहले अपने बैंक अकाउंट को वैलिडेट कर लें।
विदेशी आय और संपत्तियां की जानकारी
अगर किसी टैक्सपेयर के पास विदेश में संपत्ति है या भारत के बाहर किसी भी बैंक में अकाउंट है और वह रेजिडेंट और ऑर्डिनरिली रेजिडेंट के तौर पर आता है तो टैक्स रिटर्न में विदेश से हुई आय को दिखाना होगा, क्योंकि इस पर टैक्स देनदारी बनती है।
एसेट्स और लाइबिलिटीज की जानकारी दें
अगर टैक्सपेयर का इनकम 50 लाख से अधिक है तो उसे वित्त वर्ष के अंतिम दिन तक अपने सभी एसेट्स और लाइबिलिटीज की जानकारी देना होता है। इसमें फिक्स्ड एसेट के सथ बैंक बैलेंस, लोन, कैश इन हैंड, शेयर और सिक्योरिटीज जैसे एसेट्स की भी जानकारी देनी होती है।
ई-वेरिफिकेशन जरूर कराएं
अगर कोई ITR बिना वेरिफिकेशन के फाइल किया जाता है तो वह इनवैलिड माना जाएगा। ऐसे में ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने के बाद उसे 120 दिनों के भीतर आधार या नेट बैंकिंग के जरिए वेरिफाई करना होता है। इसके अलावा ITR Form 5 की रसीद को साइन करके 120 दिनों के अंदर इनकम टैक्स विभाग को भेज सकते हैं।