नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक नए पारदर्शी टैक्स प्लेटफॉर्म की मदद से सिस्टम में प्रभाव और दबाव का दौर खत्म हो जाएगा। साथ ही जान पहचान बढ़ाकर काम निकालने की सोच भी खत्म हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने आज नए सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अब तक होता ये रहा है कि करदाता जिस शहर में रह रहा हो उसी शहर का कर विभाग करदाता से जुड़े सभी मामलों को देखता है। स्क्रूटनी, नोटिस, सर्वे या जब्ती जैसे मामलो में करदाता के शहर के आयकर अधिकारी की भूमिका मुख्य रहती है। प्रधानमंत्री के मुताबिक अब ये भूमिका खत्म हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीक की मदद से किसी भी मामले को बिना तय तरीके से देश के किसी भी हिस्से या क्षेत्र के कर विभाग को आवंटित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री के मुताबिक किसी शहर के करदाता का मामला उस शहर के अधिकारी के पास न जाकर देश के किसी और शहर के आयकर अधिकारी के पास जाएगा। वहीं इस मामले में जो भी आदेश निकलेगा उसकी समीक्षा का मामला किसी और शहर के टैक्स अधिकारी की टीम के पास जाएगा। टीम किस शहर की होगी और उसमें कौन होगा ये भी कंप्यूटर के द्वारा तय किया जाएगा। वहीं इस केस भेजने की प्रक्रिया में बार-बार बदलाव किए जाते रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि इस सिस्टम से करदाता और कर विभाग के बीच जान पहचान बनाने का और प्रभाव और दबाब बनाने का मौका खत्म हो गया है। इसके साथ साथ टैक्स मामलों में अपील भी इसी तरह फेस लेस होगी। प्रधानमंत्री के मुताबिक इस कदम से विभाग न केवल अनावश्यक मुकदमे बाजी से बचेगा साथ ही ट्रांसफर पोस्टिंग की दौड़ धूप भी खत्म होगी। दरअसल मामले निपटाने के लिए पहचान, रसूख या भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों को देखते हुए ही सरकार ने ये कदम उठाया है, टैक्स विभाग और करदाता के बीच सीधे संबंध को खत्म करने से इन सभी पर लगाम लगाई जा सकेगी।
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