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SIP करने वाले सीख लें ये 7 स्मार्ट टिप्स, म्यूचुअल फंड निवेश पर मिलेगा ज्यादा रिटर्न

बहुत सारे एसआईपी निवेशकों की शिकायत रहती है कि उसने सिप में निवेश किया लेकिन मनचाहा रिटर्न नहीं मिला। अगर आप भी उनमें शामिल हैं तो कुछ बातों का ख्याल रखकर शानदार रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।

Mutual Funds - India TV Paisa Image Source : FILE म्यूचुअल फंड

देश में SIP करने वाले निवेशकों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। अगर आप भी सिप के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो कुछ बातों का ख्याल रखकर निवेश पर ज्यादा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। हम आपको वे 7 स्मार्ट टिप्स बता रहे हैं, जिनको फॉलो कर न सिर्फ आप एक बेहतर म्यूचुअल फंड का चुनाव कर पाएंगे बल्कि अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न भी पा सकेंगे। 

एसआईपी करते समय इन बातों का ख्याल रखें 

  1. फंड का प्रदर्शन: किसी भी म्यूचुअल फंड में सिप शुरू करने से पहले फंड के ऐतिहासिक प्रदर्शन का मूल्यांकन करें। लंबे समय तक लगातार अच्छे प्रदर्शन करने वाले फंड में ही निवेश करें। 
  2. एक्सपेंस रेशियो: यह शुल्क निवेश के प्रबंधन के लिए म्यूचुअल फंड द्वारा लिया जाता है। कम एक्सपेंस रेशियो वाले फंड का ही चुनाव करें। 
  3. फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड: फंड मैनेजर का अनुभव और विशेषज्ञता फंड के प्रदर्शन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। इसलिए फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड जरूर चेक करें। 
  4. डायवर्सिफिकेशन: सुनिश्चित करें कि फंड जोखिमों को कम करने के लिए सही तरीके से उसका डायवर्सिफिकेशन किया गया है।
  5. अनुशासित तरीके से निवेश: अनुशासित तरीके से निवेश करने की आदत डालें। लंबी अवधि में वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है।

ये भी काम की बातें, जरूर जानें 

  • फाइनेंशियल गोल फिक्स करें: एसआईपी शुरू करने से पहले, फाइनेंशियल गोल फिक्स करें। फाइनेंशियल लक्ष्य निर्धारित करना एक निवेशक के लिए उनकी यात्रा में एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है। 
  • सही फंड चुनें: जोखिम और वित्तीय लक्ष्यों में फिट बैठने वाले सही म्यूचुअल फंड चुनना काफी महत्वपूर्ण होता है। अलग-अलग फंडों में जोखिम के अलग-अलग स्तर होते हैं। इसलिए सही फंड का चुनाव करना जरूरी है। 
  • ऑटो-डेबिट सुविधा का विकल्प चुनें: अनुशासित निवेश के लिए, ऑटो-डेबिट मोड का उपयोग करें जिसमें निर्धारित तिथि पर एसआईपी राशि बैंक खाते से काट ली जाती है।
  • पुनर्संतुलन करें: एसआईपी शुरू करने के बाद भी बीच-बीच में अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलन करें। यह ज्यादा रिटर्न दिलाने में मदद करेगा। 
  • भावनात्मक निवेश से बचें: बाजार की अस्थिरता और उतार-चढ़ाव में निवेशक भावना में बह कर फैसला ले लेते हैं। इसलिए भावनात्मक निवेश से बचें। बाज़ार के माहौल की परवाह किए निवेशित रहना ज्यादा फायदेमंद है। 
  • एसआईपी की राशि बढ़ाएं: आय बढ़ने के साथ एसआईपी की रकम को बढ़ाएं। यह बड़ा फंड बनाने में मदद करता है। 

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