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नए Mutual Fund निवेशकों को ये 7 बातें जरूर जान लेनी चाहिए, बन सकते हैं अच्छे रिटर्न के सारथी

अपने सामने आने वाली हर म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने का लालच न करें। इससे आपका रिटर्न कम हो सकता है और आप एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाने से चूक सकते हैं।

डेट म्यूचुअल फंड में अलग-अलग एक्जिट लोड होते हैं। - India TV Paisa Image Source : FILE डेट म्यूचुअल फंड में अलग-अलग एक्जिट लोड होते हैं।

म्यूचुअल फंड एक बेहतरीन उपकरण है जो आपके निवेश पोर्टफोलियो को बनाने में मदद करता है। अगर आप म्यूचुअल फंड की दुनिया में नए हैं, तो यह जरूरी है कि आप पहले इससे फायदा उठाने की बारीकियों को सीख लें। यह आगे आपकी राह आसान बना देंगे और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के फैसले में आपको काफी मदद करेंगे।

निवेश का समय तय न करें

म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए बाजार का समय तय करके निवेश करना असंभव है। इसलिए, इससे बचें। म्यूचुअल फंड मार्केट में उतार-चढ़ाव के बावजूद समय-समय पर रिटर्न दे सकते हैं। नियमित रूप से एक निश्चित राशि निवेश करने की आदत डालें, जिससे बाजार में मंदी के समय भी म्यूचुअल फंड की अधिक यूनिट मिलेंगी।

एनएवी से परे देखें

ऐसे कई निवेशक हैं जो नेट एसेट वैल्यू या एनएवी को म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन का संकेतक मानते हैं। अच्छा होगा कि आप एनएवी को एकमात्र निर्णायक कारक के रूप में न देखें। फंड प्रबंधन, म्यूचुअल फंड से ऐतिहासिक रिटर्न, बाजार में उतार-चढ़ाव महत्वपूर्ण एलीमेंट हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए। फैसला लेने से पहले स्कीम से जुड़ी जानकारी के डॉक्यूमेंट्स अच्छी तरह से पढ़ें।

प्रोफेशनल से ले सकते हैं मदद

एक अच्छी तरह से तैयार की गई निवेश रणनीति आपको म्यूचुअल फंड से अच्छे रिटर्न पाने में मदद करेगी। अगर आपको खुद से कोई योजना बनाना मुश्किल लगता है, तो प्रोफेशन वित्तीय सलाहकारों से मदद लें

बेहतरीन रिटर्न की तलाश बंद करें

म्यूचुअल फंड चुनते समय अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की अवधि का आकलन करके शुरुआत करें। इसके लिए बेहतरीन रिटर्न की तलाश करना जरूरी नहीं है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, अपने प्रोफाइल के हिसाब से म्यूचुअल फंड चुनें। जोखिम को ध्यान में रखे बिना रिटर्न पर अत्यधिक ध्यान देना आपको महंगा पड़ सकता है।

पोर्टफोलियो में विविधता है जरूरी

म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में हर तरह के फंड हों तो बेहतर। यानी आपको पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड हो तो यह जोखिम को कम करने में मददगार होते हैं। इसके लिए अलग-अलग सेक्टर/एसेट क्लास में निवेश करने वाली अलग-अलग स्कीम में पैसे लगाएं। अपने सामने आने वाली हर म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने का लालच न करें। इससे आपका रिटर्न कम हो सकता है और आप एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाने से चूक सकते हैं।

SIP या लम्पसम करें तय

अगर आप यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि SIP में निवेश करें या लम्पसम में, तो आपको सबसे पहले अपने निवेश की वजह समझनी चाहिए। देखना चाहिए कि आपके लिए कौन सा तरीका बेहतर रहेगा। अपनी प्रोफाइल के आधार पर निवेश के दो तरीकों में से अपनी पसंद चुनें। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, एसआईपी चुनना एक बेहतर विकल्प होगा क्योंकि यह हर महीने एक निश्चित राशि निवेश करने का अनुशासन पैदा करता है। हां, अगर आपके पास पर्याप्त पैसे या इनकम है, तो आप एकमुश्त निवेश पर विचार कर सकते हैं। आप एक लिक्विड फंड में एकमुश्त राशि का निवेश करना भी चुन सकते हैं और अगर इक्विटी में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो इक्विटी फंड में सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान (SWP) शुरू करना चुन सकते हैं।

एग्जिट लोड और एक्सपेंस रेशियो पर विचार करें

अगर आप किसी म्यूचुअल फंड से समय से पहले बाहर निकलते हैं, तो आपको एक्जिट लोड के रूप में जाना जाने वाला जुर्माना देना पड़ सकता है। आम तौर पर, अगर आप निवेश के एक वर्ष के भीतर बाहर निकलते हैं तो इक्विटी म्यूचुअल फंड 1% का एक्जिट लोड चार्ज करते हैं। डेट म्यूचुअल फंड में अलग-अलग एक्जिट लोड होते हैं। इसी तरह, एक एक्सपेंस रेशियो (व्यय अनुपात) एक फंड हाउस द्वारा म्यूचुअल फंड के प्रबंधन के लिए लिया जाने वाला शुल्क है। इसमें परिचालन शुल्क, कानूनी लागत, सेवा शुल्क आदि शामिल हैं। बहुत अधिक व्यय अनुपात आपके रिटर्न को कम कर सकता है।

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