Mutual Funds से कब बाहर निकलना है समझदारी, जानें सही समय और सिचुएशन, फायदे में रहेंगे
म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन काफी हद तक फंड मैनेजर द्वारा लिए गए फैसलों पर निर्भर करता है। जब कोई फंड मैनेजर लंबे समय तक फंड को मैनेज करता है, तो वह फंड हाउस की निवेश शैली से अच्छी तरह वाकिफ होता है।
जीवन में अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में म्यूचुअल फंड का बड़ा महत्व है। लेकिन कई बार यही म्यूचुअल फंड आपको निवेश से बाहर निकलने के लिए भी सोचने पर मजबूर कर सकते हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि म्यूचुअल फंड से बाहर निकलने की स्ट्रैचेजी जल्दबाजी में नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक योजनाबद्ध कदम होना चाहिए। कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं जब आपको म्यूचुअल फंड से निकासी या बाहर निकलने पर विचार करना चाहिए। इससे आप रिटर्न के ठहराव से बच सकेंगे।
लक्ष्य हासिल हो जाए तो बाहर निकल सकते हैं
जब भी म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाए तो उसका एक लक्ष्य होना चाहिए। अगर वह फंड आपके लक्ष्य को हासिल कर लेता है तो आप फंड से बाहर आने पर विचार कर सकते हैं। चाहे आपने आपातकालीन निधि बनाने, अपने बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए बचत करने या अपनी सेवानिवृत्ति के लिए निवेश किया हो, अगर आपने अपना वांछित लक्ष्य हासिल कर लिया है या उसे हासिल करने के करीब हैं, तो आप म्यूचुअल फंड से निकासी पर विचार कर सकते हैं।
लंबे समय तक खराब प्रदर्शन
कोटक सिक्योरिटीज के मुताबिक, अगर आपका फंड लंबे समय तक लगातार खराब प्रदर्शन कर रहा है तो उससे बाहर निकलने की जरूरत है। अगर आपका फंड काफी समय से खराब प्रदर्शन कर रहा है, तो आप इसे भुनाकर बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। कोई फंड कई कारणों से खराब प्रदर्शन कर सकता है। यह मौजूदा आर्थिक माहौल, सरकारी नीतियों या फंड मैनेजर द्वारा लिए गए फैसलों के कारण हो सकता है।
फंड के मकसद और जोखिम में बदलाव
अगर किसी फंड का मुख्य मकसद समय के साथ बदलता है और उससे जुड़ा जोखिम भी बदलता है, तो आप उससे बाहर निकलने का रास्ता अपना सकते हैं। जब सेबी ने 2018 में म्यूचुअल फंड में फेरबदल किया, तो नियामक के निर्देशों के मुताबिक कई फंड को मर्ज कर दिया गया। अगर आपको लगता है कि आपके फंड के उद्देश्य और जोखिम अब आपके लक्ष्यों से मेल नहीं खाते, तो आप अपने निवेश को भुना सकते हैं।
पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने की हो जरूरत
मौजूदा बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच आपको अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने की जरूरत पड़ सकती है। मूल एसेट मिक्स को वापस पाने के लिए आपको अपने इक्विटी फंड का कुछ हिस्सा बेचना पड़ सकता है और आय को डेट फंड में निवेश करना पड़ सकता है। ऐसा करने के लिए, आप इक्विटी फंड में निकासी पर विचार कर सकते हैं और आय को डेट फंड में लगा सकते हैं।
फंड मैनेजर में बदलाव
म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन काफी हद तक फंड मैनेजर द्वारा लिए गए फैसलों पर निर्भर करता है। जब कोई फंड मैनेजर लंबे समय तक फंड को मैनेज करता है, तो वह फंड हाउस की निवेश शैली से अच्छी तरह वाकिफ होता है। वैसे जब कोई नया मैनेजर टॉप पर होता है, तो उसे एएमसी की निवेश शैली से परिचित होने में कुछ समय लग सकता है। साथ ही, एक नया मैनेजर अक्सर अपने खुद के विचार लेकर आता है जो फंड के मकसद में फिट हो भी सकते हैं और नहीं भी। यदि आपको लगता है कि नए मैनेजर के फैसले फंड के मकसद के मुताबिक नहीं हैं, तो आप बाहर निकलने का रास्ता अपना सकते हैं।