Investment Advice: आम तौर पर भारतीय निवेशक शेयर बाजार में तब पैसे लगाते हैं जब बाजार ऊपर जा रहे होते हैं और वे बाजार से तब पैसे निकालते हैं, जब बाजार का प्रदर्शन खराब होता है। यह तरीका निवेश के लिए अच्छा नहीं है। यही नहीं, कई बार यह देखा जाता है कि बाजार में अधिक उतार-चढ़ाव आने की स्थिति में कुछ निवेशक या तो बाजार से बाहर रहते हैं या फिर घबरा कर अपने निवेश से बाहर निकल जाते हैं।
इक्विटी के बारे में कम समझ की वजह से यह स्थिति उत्पन्न होती है। यहां यह उल्लेख करना अहम है कि लंबी अवधि के लिए पूंजी सृजन करने के लिए इक्विटी एक उपयुक्त निवेश विकल्प होता है। निवेशकों को बाजार में छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव के समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे लंबी अवधि में अपनी पूंजी की संभावित बढ़ोतरी का फायदा ले सकें।
क्यों हैं बैलेंस्ड फंड जरूरी
शेयर बाजार इस समय रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं, लेकिन अभी भी निवेशकों का एक समूह ऐसा है जो इसका लाभ लेने से खुद को वंचित महसूस कर रहे होंगे। ऐसे निवेशकों के लिए यह बुद्धिमानी होगी कि वे अपने पोर्टफोलियो में बैलेंस्ड फंड को शामिल करें। जब बाजार गिर रहे होते हैं, तो यह फंड इक्विटी में अपना एलोकेशन बढ़ा कर इसकी भविष्य की संभावित तेजी का फायदा उठाने की कोशिश करता है, दूसरी ओर जब बाजार चढ़ रहे होते हैं तो इक्विटी में अपना एक्सपोजर कम कर ये फंड गिरावट की संभावना को सीमित कर लेते हैं। इस तरह आप देख सकते हैं कि ऐसे फंड की कार्यशैली रिटेल निवेशकों की कार्यशैली के ठीक उल्टी होती है।
क्या हैं बैलेंस्ड फंड में निवेश के लाभ
बैलेंस्ड फंड में निवेश के कई फायदे हैं। यह सिंगल स्ट्रक्चर में एसेट एलोकेशन मॉडल का लाभ देता है। अपनी एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी का पालन करते हुए यह फंड अपनी पूंजी को एक से अधिक एसेट क्लास में बांट देता है, इससे जोखिम तो कम होता ही है, पूरे पोर्टफोलियो के प्रदर्शन पर किसी एक एसेट क्लास का प्रदर्शन हावी भी नहीं होता। इसके अलावा बैलेंस्ड फंड न केवल निवेश में अनुशासन लाता है, बल्कि उस प्रवृत्ति पर रोक भी लगाता है जब निवेशक बाजार नीचे जाने की स्थिति में इससे बाहर निकल जाते हैं और इसके ऊपर जाने पर इसमें पैसे लगाते हैं।
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