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हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को गलत तरीके से रिजेक्ट कर रही बीमा कंपनियां, आई ये चौंकाने वाली जानकारी

स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के संगठन एएचपीआई ने कहा ​है कि बीमा कंपनियां मरीजों की तरफ से किए गए दावों को ‘गलत ढंग से’ खारिज कर रही है। क्लेम नहीं मिलने से बीमा कराने वाले मरीज असली पीड़ित बन रहे हैं। बीमा नियामक आईआरडीएआई के पास कई शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

Health Insurance - India TV Paisa Image Source : FILE हेल्थ इंश्योरेंस

कोरोना महामारी के बाद हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बीमारी के दौरान आर्थिक परेशानी से बचने के लिए बहुत सारे लोग अपनी गाढ़ी कमाई में से पैसे बचाकर हेल्थ इंश्योरेंस खरीद रहा है। वह इस उम्मीद में पॉलिसी ले रहा है कि उसके या परिवार के किसी सदस्य के बीमार होने पर आसानी से इलाज हो जाए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। आम इंसान हेल्थ पॉलिसी तो ले रहा है लेकिन जब वह क्लेम करने जा रहा है तो कंपनियां गलत तरीके से उसके क्लेम को रद्द यानी रिजेक्ट कर दे रही है। गलत तरीके से क्लेम रिजेक्ट करने के आरोप तो वैसे लंबे समय से लगता रहा है लेकिन अब खुद स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के संगठन एएचपीआई ने यह आरोप लगाया है। 

एएचपीआई ने क्या कहा है? 

स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के संगठन एएचपीआई ने कहा ​है कि बीमा कंपनियां मरीजों की तरफ से किए गए दावों को ‘गलत ढंग से’ खारिज कर रही है और बीमा नियामक के दिशानिर्देशों की पालन नहीं कर रही है। अस्पतालों एवं अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के समूह एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) ने बयान में कहा है कि बीमा कंपनियां भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) की तरफ से जारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं। इतना ही नहीं,  एएचपीआई ने निजी बीमा कंपनियों पर ‘गुटबंदी’ करने का आरोप भी लगाया है। एएचपीआई ने कहा कि ये बीमा कंपनियां अस्पतालों को प्रदान की जाने वाली नकदी-रहित (कैशलेस) सुविधाओं को सामूहिक रूप से बंद कर रही हैं, जिससे मरीजों को उपचार और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को अपनी पसंद के हिसाब से चुनने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।

बीमा कराने वाले मरीज बन रहे असली पीड़ित

एएचपीआई ने कहा कि क्लेम नहीं मिलने से बीमा कराने वाले मरीज असली पीड़ित बन रहे हैं। क्लेम रिजेक्ट होने से लोगों को इलाज खर्चों के लिए फौरन धन की जरूरत पड़ती है। वह इसके लिए कर्ज लेने को मजबूर हैं। एएचपीआई के महानिदेशक डॉ.गिरधर ज्ञानी ने कहा कि हालात सुधारने की हमारी कोशिशों को प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है। बीमा नियामक आईआरडीएआई के पास कई शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। बीमा कंपनियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायतें आने के बाद हम अब कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं। इन संबंधित प्रथाओं पर ध्यान आकर्षित करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से संपर्क कर रहे हैं। एएचपीआई ने ऐसी निजी बीमा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 

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