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अपडेटेड ITR फाइल करने की बढ़ गई डेडलाइन, इस तारीख तक टैक्सपेयर्स को मिली राहत

आकलन वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 2020-21) के लिए दाखिल कुछ आईटीआर में दर्ज वित्तीय लेनदेन की जानकारी और विभाग के पास उपलब्ध जानकारी के बीच अंतर है।

विभाग बेमेल जानकारी के संबंध में करदाताओं को सूचना भेज रहा है।- India TV Paisa Image Source : FILE विभाग बेमेल जानकारी के संबंध में करदाताओं को सूचना भेज रहा है।

टैक्सपेयर्स के लिए राहत भरी खबर है। अपडेटेड आईटीआर फाइल करने की तारीख को सरकार ने बढ़ाकर अब 31 मार्च 2024 कर दिया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सोमवार को कहा कि जिन करदाताओं के मामले ई-सत्यापन योजना के तहत चिह्नित किए गए हैं, वे आकलन वर्ष 2021-22 के लिए अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न 31 मार्च तक दाखिल कर सकते हैं। भाषा की खबर के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का कहना है कि आकलन वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 2020-21) के लिए दाखिल कुछ आईटीआर में दर्ज वित्तीय लेनदेन की जानकारी और विभाग के पास उपलब्ध जानकारी के बीच अंतर है।

बेमेल जानकारी के संबंध में करदाताओं को सूचना भेजा जा रहा है

खबर के मुताबिक, ऐसे मामलों में जहां आकलन वर्ष 2021-22 के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया गया है, लेकिन विभाग के पास उच्च मूल्य के वित्तीय लेनदेन की जानकारी है, उनकी भी जांच की जानी चाहिए। ऐसे में ई-सत्यापन योजना-2021 के तहत विभाग बेमेल जानकारी के संबंध में करदाताओं को सूचना भेज रहा है। आयकर विभाग ने ऐसे करदाताओं से अपडेटेड आटीआर दाखिल करने को कहा है। करदाताओं को सूचना आयकर विभाग में रजिस्टर्ड उनके ई-मेल आईडी के माध्यम से सूचित कर रही है।

कम्यूनिकेशन के माध्यम से, विभाग करदाताओं से आग्रह कर रहा है कि वे ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से अपने एआईएस को देखें और जहां भी करदाता को जरूरी लगे, अपडेट आईटीआर (आईटीआर-यू) दाखिल करें। योग्य गैर-फाइलर भी आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139(8ए) के तहत अपडेटेड रिटर्न (आईटीआर-यू) जमा कर सकते हैं।

पिछले दिनों तय कर दी थी ये लिमिट

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कुछ दिनों पहले छोटी टैक्स डिमांड को वापस लेने को लेकर प्रति टैक्सपेयर एक लाख रुपये की लिमिट तय कर दी थी। इसकी घोषणा बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए अपने अंतरिम बजट भाषण में आकलन वर्ष 2010-11 तक 25,000 रुपये और आकलन वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक 10,000 रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने की घोषणा की थी।

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