आज के समय में क्रेडिट स्कोर काफी जरूरी हो गया है। किसी प्रकार का लोन लेते समय बैंक सबसे पहले आपका क्रेडिट स्कोर चेक करता है। अगर क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो बैंक झट से लोन दे देता है। वहीं, खराब क्रेडिट स्कोर पर लोन मिलना लगभग असंभव हो जाता है। क्रेडिट स्कोर कैसे बनता है इसके बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी होती है। आइए जानते हैं...
कैसे बनता है क्रेडिट स्कोर?
क्रेडिट स्कोर के चार मुख्य फैक्टर्स होते है। पहला - रीपेमेंट हिस्ट्री, दूसरा - क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन, तीसरा - क्रेडिट अवधि और चौथा- क्रेडिट मिक्स।
रीपेमेंट हिस्ट्री (Repayment History) में आपकी ओर से अब तक लिए गए लोन की पूरी हिस्ट्री के बारे में लेखा जोखा होता है। रीपेमेंट हिस्ट्री से आपके क्रेडिट स्कोर का 35 प्रतिशत हिस्सा ही प्रभावित होता है। आपने अब तक कौन- सा लोन लिया। उसमें से कितनी किस्तों को समय से चुकाया है या नहीं। बता दें, अगर आप कोई भी किस्त भरने से चूक जाते हैं तो यह आपकी क्रेडिट हिस्ट्री में दर्ज हो जाता है।
क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन (Credit Balance and Utilization) देखा जाता है कि बैंक ने आपको जो क्रेडिट लिमिट दी है उसका आपने कितना उपयोग किया है। आमतौर पर इसका 30 प्रतिशत तक का इस्तेमाल करना ठीक माना जाता है। क्रेडिट बैलेंस और यूटिलाइजेशन से आपके क्रेडिट स्कोर का 30 प्रतिशत हिस्सा ही प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट 1,00,000 है और आपने 30,000 का इसमें उपयोग किया है तो आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन 30 प्रतिशत माना जाएगा।
क्रेडिट अवधि (Credit Duration) की क्रेडिट स्कोर में बड़ी भूमिका होती है। क्रेडिट स्कोर का 15 फीसदी हिस्सा क्रेडिट अवधि से प्रभावित होता है। जितनी लंबी आपकी क्रेडिट अवधि होती है। उतना ही अच्छा माना जाता है।
क्रेडिट मिक्स (Credit Mix) से आपके क्रेडिट स्कोर का 10 प्रतिशत हिस्सा ही प्रभावित होता है। क्रेडिट मिक्स में देखा जाता है कि आपने किस प्रकार के लोन लिए हुए हैं।
क्रेडिट स्कोर ( Credit Score)
क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। 300 सबसे खराब और 900 सबसे अच्छा क्रेडिट स्कोर होता है।
- 750-900: बहुत अच्छा
- 700-749: अच्छा
- 650-699: संतोषजनक
- 600 से नीचे: खराब
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