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Flat और Reducing rate में क्या होता है फर्क? जानिए कैसे कैलकुलेट होता है ब्याज

Difference between flat and reducing rate : रिड्यूसिंग रेट में हर रीपेमेंट के बाद ब्याज की गणना लोन के बचे हुए हिस्से पर होती है। इसका मतलब है कि ब्याज दर समय के साथ घटती जाती है। जैसे-जैसे आपको लोन चुकता जाता है, ब्याज दर घटती जाती है।

लोन पर ब्याज दर- India TV Paisa Image Source : FILE लोन पर ब्याज दर

Flat vs Reducing rate : होम लोन या दूसरे लोने लेते समय आपने देखा होगा कि कई जगह फ्लैट ब्याज दर रहती है और कई जगह रिड्यूसिंग रेट रहती है। जब आप होम लोन लेते हैं, तो उसका रीपेमेंट आप समान मासिक किस्तों में करते हैं, जिसे EMI के नाम से जाना जाता है। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होते हैं। ब्याज की गणना या तो फ्लैट रेट या रिड्यूसिंग बैलेंसिग रेट मैथड़ से की जाती है। आपका कर्जदाता आपसे किस तरह से ब्याज वसूल रहा है, यह जानने के लिए आपको इन दोनों ब्याज दरों का अंतर पता होना चाहिए। आइए जानते हैं।

फ्लैट रेट क्या होती है?

किसी लोन पर फ्लैट ब्याज दर का मतलब है कि ब्याज की गणना पूरी लोन अवधि के लिए पूरी लोन राशि पर हो रही है। इसका मतलब है कि ब्याज दर पूरी लोन अवधि के दौरान एक समान रहेगी। इसमें आपको हर महीने एक निश्चित राशि ईएमआई के रूप में चुकानी होती है।

कैसे होती है गणना

इसमें आपके ब्याज की गणना (P * I * T)/100 फॉर्मूले से होती है। यहां P मूलधन को, I सालाना ब्याज दर और T टेन्योर यानी अवधि को दर्शाता है। आप ऑनलाइन कैलकुलेटर के जरिए भी यहां ब्याज कैलकुलेट कर सकते हैं।

रिड्यूसिंग रेट क्या होती है?

रिड्यूसिंग रेट में हर रीपेमेंट के बाद ब्याज की गणना लोन के बचे हुए हिस्से पर होती है। इसका मतलब है कि ब्याज दर समय के साथ घटती जाती है। जैसे-जैसे आपको लोन चुकता जाता है, ब्याज दर घटती जाती है।

कैसे होती है गणना

यह थोड़ी जटल कैलकुलेशन होता है। रिड्यूस्ड ब्याज = मंथली ईएमआई x T – P होता है। यहां EMI का फॉर्मूला [P x I x (1+I) ^T]/ [((1+I)^T) -1)] है।
यहां P = मूलधन, I = ब्याज दर / (100×12) और T = वर्षों की संख्या x 12 है। आप ऑनलाइन कैलकुलेटर के जरिए भी यहां ब्याज कैलकुलेट कर सकते हैं।

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