भारत में सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर 300-900 के बीच कैलकुलेट किया जाता है। किसी भी इंसान को अपने क्रेडिट स्कोर को 900 के करीब लाने के हर संभव उपाय जरूर करने चाहिए। जितना हाई सिबिल स्कोर होता है, आपको पर्सनल लोन के साथ-साथ क्रेडिट कार्ड पर अच्छा सौदा मिलने की संभावना बढ़ जाती है। आपको किसी भी तरह का लोन मिलने में आसानी होती है। आइए यहां सिबिल स्कोर के रेंज और उसके मायने क्या हैं, को यहां समझते हैं।
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इसका मतलब यह है कि यह या तो लागू नहीं है या उस शख्स की कोई हिस्ट्री नहीं है। अगर आपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं किया है या कभी लोन नहीं लिया है, तो आपका कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होगा।
350 – 549
अगर आपका स्कोर 350 – 549 की रेंज में है तो ऐसे CIBIL स्कोर को खराब स्कोर माना जाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आपको क्रेडिट कार्ड बिल या लोन की ईएमआई चुकाने में देरी हो गई है। इस लिमिट में सिबिल स्कोर के साथ, आपके लिए लोन या क्रेडिट कार्ड पाना मुश्किल होगा क्योंकि आपके डिफॉल्टर बनने का जोखिम ज्यादा है।
550 – 649
अगर आपका सिबिल स्कोर 550 – 649 की रेंज में है तो इसे उचित सिबिल स्कोर माना जाता है। इससे पता चलता है कि आप समय पर बकाया भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि जब आप लोन के लिए अप्लाई करेंगो तो आपको महंगी ब्याज दर पर लोन लेना पड़ सकता है।
650 – 749
अगर आपका सिबिल स्कोर 650 – 749 के दायरे में है, तो आप सही रास्ते पर हैं। आपको अच्छा क्रेडिट व्यवहार प्रदर्शित करना जारी रखना चाहिए और अपना स्कोर और बढ़ाना चाहिए। इसके लिए आपको और वित्तीय अनुशासन का पालन करना चाहिए। इस स्कोर पर बैंक या ऋणदाता आपके क्रेडिट एप्लीकेशन पर विचार करेंगे और आपको लोन की पेशकश कर सकते हैं। हालांकि, लोन के लिए ब्याज दर पर बेस्ट डील पाने के लिए आपके पास अभी भी बातचीत की शक्ति नहीं हो सकती है।
750 – 900
अगर आपका सिबिल स्कोर 750 – 900 के दायरे में है तो इसे एक बेहतरीन क्रेडिट स्कोर माना जाता है। इससे यह पता चलता है कि आप नियमित रूप से क्रेडिट भुगतान करते हैं और आपकी पेमेंट हिस्ट्री शानदार है। बैंक आपको लोन और क्रेडिट कार्ड भी आसानी से ऑफर करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके डिफॉल्टर बनने का जोखिम सबसे कम है।
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