रियल एस्टेट सेक्टर में बूम! मेट्रो सिटी या छोटे शहरों की प्रॉपर्टी में से कहां लगाएं पैसा? जानिए क्या रहेगा बेहतर विकल्प
मेट्रो सिटी के आसपास बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री होती है, जिसमें हजारों लोग काम करने आते हैं। ये प्रॉपर्टी की मांग हमेशा बढ़ाने का काम करते हैं।
प्रॉपर्टी बाजार में बूम है। प्रॉपर्टी की जबरदस्त मांग के चलते रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी की कीमत तेजी से बढ़ी है। इस कारण निवेशकों को शानदार रिटर्न मिला है। ऐसे में अगर आप भी प्रॉपर्टी में निवेश कर मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि अभी मेट्रो सिटी या छोटे शहारों में कहां निवेश करना बेहतर होगा? आपको बता दें कि दोनों विकल्प के अलग-अलग फायदे और नुकसान हैं। इसके चलते पूंजी लगाने से पहले प्रत्येक विकल्प को अच्छी तरह से समझना जरूरी है। आइए, हम आपको बताते हैं कि कहां निवेश करना सही होगा।
मेट्रो सिटी की प्रॉपर्टी में निवेश के फायदे
अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी और दिग्गज रियल्टी एक्सपर्ट राकेश यादव ने इंडिया टीवी को बताया कि मेट्रो सिटी का आकर्षण को नज़रअंदाज़ करना कठिन है। महानगरों की प्रॉपर्टी में निवेश का सबसे बड़ा फायदा यह है कि मेट्रो सिटी में बहुत बड़ी अबादी रहती है। उनकी कमाई भी काफी अच्छी होती है। इसके चलते मेट्रो सिटी की रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग काफी अधिक होती है। इससे प्रॉपर्टी की कीमत में वृद्धि और रेंटल आय से अच्छी आमदानी होती है। इसलिए निवेश पर शानदार रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के लिए मेट्रो सिटी एक आकर्षक विकल्प होता है। इसके अलावा, मेट्री सिटी की इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी काफी अच्छी होती है। यह न केवल यहां रहने वाले को बेहतर लाइफस्टाइल प्रदान करता है बल्कि संपत्ति के मूल्यों की वृद्धि में भी योगदान देता है। इसके साथ ही मेट्रो सिटी के आसपास बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री होती है, जिसमें हजारों लोग काम करने आते हैं। ये प्रॉपर्टी की मांग हमेशा बढ़ाने का काम करते हैं।
टियर टू और छोटे शहरों में निवेश के फायदे
रियल एस्टेट कंसल्टिंग फर्म इंदुमा ग्रुप के डायरेक्टर ऋषि सिंह के अनुसार, मेट्रो सिटी का ग्लैमर जरूर आकर्षक होता है लेकिन इसके चलते प्रॉपर्टी की काफी कीमत चुकानी होती है। वहीं, छोटे शहरों में रियल एस्टेट की लागत अक्सर महानगरों की तुलना में काफी कम होती है। इसके चलते निवेशकों के पास कम पूंजी में बेहतर प्रॉपर्टी लेने के कई विकल्प मिल जाते हैं। इसके चलते निवेश पर कम समय में ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना अधिक होती है। साथ ही वित्तीय जोखिम कम होता है। इसके अलावा छोटे शहरों में विकास की असीम संभावना होती है। इसका लाभ निवेशकों को मिल सकता है। छोटे शहरों में विकास होने पर प्रॉपर्टी की कीमत कई गुना बढ़ जाती है।
इन बातों को ध्यान में रखकर करें फैसला
- मार्केट एनालिसिस करें: मेट्रो या छोटे शहरों की प्रॉपर्टी में निवेश से पहले उस शहर में आवासीय और कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग पर एनालिसिस करें। आप एनालिसिस जनसंख्या वृद्धि, रोजगार के अवसर और किराये के रुझान को लेकर कर सकते हैं।
- प्रॉपर्टी की कीमत और रिटर्न को देखें: महानगरों और छोटे शहरों में निवेश से पहले प्रॉपर्टी की कीमत, रेंटल इनकम और प्रॉपर्टी की कीमत में बढ़ोतरी की तुलना करें। यह आपको सही फैसला लेने में मदद करेगा।
- जोखिम प्रबंधन का आकलन करें: महानगरों और छोटे शहरों से जुड़े जोखिम का मूल्यांकन करें। आर्थिक विविधीकरण, बाज़ार स्थिरता और आर्थिक मंदी के संभावित प्रभाव जैसे कारकों पर विचार करें।
- इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं पता करें: महानगरों और छोटे शहरों दोनों में उपलब्ध बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों और सुविधाओं की गुणवत्ता को पता करें। ये फैक्टर प्रॉपर्टी की कीमत में बढ़ोतरी या रेंटल इनकम पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालते हैं।