Smart Buyer: घर खरीदते वक्त इन 6 तरीकों से बचा सकते हैं पैसा, ये है स्मार्ट होम बायर बनने का फॉर्मूला
Home खरीदते वक्त समझदारी से काम लें तो इस बड़े खर्च से भी आप कुछ पैसा बचा सकते हैं। आपको ईएमआई, कैश डिस्काउंट से लेकर टैक्स तक में छूट मिल सकती है।
नई दिल्ली। किसी भी व्यक्ति के लिए Home खरीदना उसका सबसे बड़ा सपना होता है। घर खरीदना जीवन का सबसे बड़ा सौदा होता है। यही कारण है कि इस सपने को पूरा करन के लिए वह अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई लगा देता है। लेकिन महंगाई के दौर में पहले डाउनपेमेंट और फिर ऊपर से बैंक की ईएमआई का खर्च निकाल पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन यदि आप समझदारी से काम लें तो इस बड़े खर्च से भी आप अपने लिए कई फायदेमंद छूट हासिल कर सकते हैं। यह छूट ईएमआई, कैश डिस्काउंट से लेकर टैक्स तक में मिलती है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको इन्हीं बातों के बारे में बताने जा रही है। जिन पर चलकर आप स्मार्ट होम बायर बन सकते हैं।
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स्टैम्प शुल्क पर फायदा
घर या फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के लिए खरीदार को उसकी कीमत के एक तय अनुपात में स्टैम्प शुल्क चुकाना पड़ता है। विभिन्न राज्यों में स्टैम्प शुल्क की दरें अलग-अलग हैं। वहीं कुछ राज्य महिलाओं को स्टैम्प शुल्क में छूट देते हैं। कई राज्यों में महिलाओं को 1 से 2 फीसदी तक की छूट मिलती है। ऐसी स्थिति में यदि आपका मकान 30 लाख रुपए से ज्यादा कीमत का है, तो आपको होने वाला फायदा भी बड़ा होगा।
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होम लोन के ब्याज पर ज्यादा टैक्स लाभ
आयकर की धारा 24बी के तहत होम लोन के ब्याज के भुगतान पर दो लाख रुपये सालाना टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। सरकार ने सस्ते मकान पर विशेष रियायत दी है। इसके तहत 40 लाख रुपये के मकान पर 25 लाख रुपये तक के होम लोन पर एक लाख रुपये की अतिरिक्त छूट ले सकते हैं। इस तरह सस्ते घर पर आप दो लाख रुपये की जगह तीन लाख रुपये की टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। वहीं यदि घर रहने की बजाय किराये पर देने के लिए खरीद रहे हैं तो उसपर ब्याज छूट की कोई सीमा नहीं है।
प्री अप्रूव्ड होम लोन पर ज्यादा मोलभाव
सामान्यत: लोग मकान पहले पसंद करते हैं और फिर बैंक के पास कर्ज के लिए जाते हैं। लेकिन बैंक पूर्व मंजूर कर्ज (प्री-अप्रूव्ड लोन) की भी सुविधा देते हैं। इसके तहत लिया गया होम लोन छह माह तक मान्य रहता है। जब आप बिल्डर के पास प्री-अप्रूव्ड लोन के साथ फ्लैट खरीदने के लिए बातचीत करने जाते हैं तो वह आपको गंभीर खरीदार समझता है। ऐसे में आप उससे मोलभाव करके कीमतों पर ज्यादा छूट लेने की स्थिति में होते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना चाहिए कि एक बार प्री-अप्रूव्ड लोन की अवधि खत्म हो जाए तो उसके छह माह बाद ही दोबारा आवेदन कर सकते हैं।
प्रोजेक्ट की वैधता बैंक से भी जांचें
बैंक होम लोन देने का फैसला काफी पड़ताल के बाद करते हैं। सामान्य: वह ऐसे किसी प्रोजेक्ट में मकान खरीदने के लिए लोन नहीं देते जिसमें किसी तरह की कानूनी अड़चन हो। आप प्रोजेक्ट की वैधता के लिए अन्य स्रेतों के साथ बैंक से भी सलाह ले सकते हैं। हाल के दिनों में कुछ ऐसे मामले आए हैं जिसमें निजी क्षेत्र के बैंकों ने वैसे प्रोजेक्ट के लिए भी होम लोन मंजूर कर लिया जो वैध नहीं थे लेकिन सरकारी बैंक इसमें किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेते हैं।
क्रेडिट स्कोर का रखें ध्यान
बैंक किसी भी तरह का कर्ज देने के पहले उपभोक्ता का क्रेडिट रिकॉर्ड देखते हैं। इसका आकलन 300 से 900 अंकों के बीच किया जाता है। सिबिल इसका आकलन करती है। आमतौर पर 700 से अधिक क्रेडिट स्कोर होने पर कर्ज मिलना आसान हो जाता है। वहीं आपको ईएमआई का बोझ घटाने का भी मौका मिलता है।
मूलधन पर छूट में दिखाएं समझदारी
आयकर नियमों के मुताबिक होम लोन के मूलधन पर धारा 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं। लेकिन इसी के तहत सार्वजिनक भविष्य निधि (पीपीएफ), राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस), इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), जीवन बीमा पॉलिसी और घर की रजिस्ट्री के स्टैम्प शुल्क पर टैक्स छूट भी शामिल है। मूलधन और स्टैम्प शुल्क के भुगतान को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। निवेश के मद्देनजर पीपीएफ में जितना अधिक हो सके उतना निवेश करने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इस पर तीन स्तरों पर टैक्स छूट मिलती है। पीपीएफ पर में निवेश की राशि, उस पर मिलने वाला ब्याज और परिपक्वता पर मिलने वाली राशि तीनों टैक्स फ्री है।