कोरोना से आर्थिक सेहत बिगड़ने का डर, इस खास प्लानिंग से जेब रहेगी सेहतमंद
बेहतर प्लानिंग की मदद से कोरोना संकट के बीच भी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाया जा सकता है
नई दिल्ली। कोरोनावायरस से पूरी दुनिया में आने वाले मंदी का डर सता रहा है। जानकारों के मुताबिक 100 से ज्यादा देशों में कोरोना संकट की वजह से मंदी आ सकती है। ऐसे में सरकारें कई वित्तीय कदम उठाकर हर सेक्टर की मदद करने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन कोरोना का संकट ऐसे ही जारी रहा तो आने वाला समय और मुश्किल भरा साबित हो सकता है। लोगों की नौकरियां, कारोबार सब पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में अगर आपको भी अपनी आर्थिक स्थिति के बिगड़ने का डर है तो आप सही तरीके से फाइनेंशियल प्लानिंग करके पैसों का सही इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही मुश्किल वक्त के लिए पैसों को बचा भी सकते हैं।हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही फाइनेंशियल टिप्स जिसके जरिए आप अपने आपको आर्थिक रुप से मजबूत कर सकते हैं।
1. हालात के हिसाब से बजट में बदलाव करें:
मौजूदा हालात को देखते हुए आप अपना एक बजट तैयार करें। पहले हम अपनी सैलरी या इनकम के हिसाब से बजट तैयार करते थे। लेकिन अब हालात को देखते हुए बजट तैयार करें। सिर्फ वहीं खरीदें जो जरुरत की चीजें हैं। अपनी महीने की फिक्सड खर्चों की एक लिस्ट बनाएं। पहले ईएमआई, बिजली का बिल, क्रेडिट कार्ड बिल ये सब जमा करें। बाकी बचें पैसों की बचत करें। फिजूल खर्च करने से बचें। मंदी के दौर को ठीक होने में अभी वक्त लग सकता है। इसलिए बजट ऐसा बनाए जो की आपको पूरे एक साल सही दिशा के साथ मदद कर सके।
2. क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने से बचें:
कई लोग ऐसे हैं जिनको कोरोना संकट के वजह से नौकरी से निकाल दिया गया है या फिर सैलरी रोक दी गई है। ऐसे में जल्दबाजी करके सारा खर्च क्रेडिट कार्ड के जरिए न करें। जितना हो सके कम से कम क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें। याद रखिए की जब जीवन कोरोना के बाद सामान्य हो जाएगा तो बिल आपको ही भरना होगा। ध्यान रखिए की अगर आपने पैसों के समस्या के वजह से क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च किया है तो बाद में बिल जमा न करने पर बकाया रकम पर बैंक आपसे 48 फीसदी तक का ब्याज ले सकती है। जो कि बहुत ही ज्यादा रकम हैं, इसलिए क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से जितना हो सके बचें।
3. इमरजेंसी फंड तैयार करें:
हर वित्तीय सलाहकर सबसे पहले यही सलाह देता है कि हमेशा इमरजेंसी फंड तैयार करें। जितना हो सके अपनी सैलरी या इनकम से बचाएं ताकि मुश्किल के समय वही पैसे आपके काम आ पाएं। कोरोना ने इस इमरजेंसी फंड का महत्व हम सबको बता ही दिया है। इसलिए अगर आपके पास नकदी की कमी फिलहाल नहीं है तो उसे इमरजेंसी फंड के तौर पर जमा कर दें। आपको अपने एफडी, सेविंग फंड्स से पैसे निकाल कर खर्च करने की कोई जरुरत नहीं पड़ेगी। अभी सही मौका है कि आने वाले समय के लिए हम इमरजेंसी फंड तैयार करना शुरू कर दें। फिलहाल हमारा खर्च समान्य जीवन के मुकाबले कम है तो बाकी सभी बकाया को भरने के बाद जितने भी पैसे बचते हैं उसमें से कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा रकम को इमरजेंसी फंड के तौर पर ऱखें। आपदा जीवन में कब और कहां आ जाए ये कोई नहीं जानता है इसलिए इमरजेंसी फंड काफी महत्वपूर्ण हिस्सा है।
4. इंश्योरेंस को बंद न करें:
कोई भी आपदा कभी बता कर नहीं आती, ऐसे में डर से किसी हाल में अपने इंश्योरेंस को बंद न करें। अपने टर्म इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस को हमेशा चालू रखें। हो सके तो अपने परिवार के लिए ज्यादा सुविधाएं ऑफर करने वाली पॉलिसी लेने की कोशिश करें। भले ही प्रिमियम ज्यादा देना पड़े लेकिन खुद को और अपने परिवार की सेहत को सुरक्षित रखें। हर साल अपने हेल्थ इंश्योरेंस को समझें और जरुरत के हिसाब से प्लान बदलें या ऐडऑन सुविधा के साथ अपग्रेड करें। इंश्योरेंस के पैसे जमा करने में कोई लापरवाही न करें। याद रखें की बाद में इंश्योरेंस के जरिए आपको काफी बड़ा सहारा मिल सकता है।
5. अपने पोर्टफोलियों को चेक करें:
कोरोना के समय में शेयर बाजार के हालात भी कुछ ठीक नहीं रह रहे हैं। भारी बिकवाली और उतार-चढ़ाव के चलते निवेशकों में अपने निवेश किए पैसों को लेकर डर बन गया है। ऐसे में आपको जरुरत है कि जिन निवेशित कंपनियों से आपको लगता है कि आपको नुकसान हो रहा है उसमें निवेश करना बंद कर दें या फिर अपने पैसे बेचकर निकाल लें। उन पैसों को अपने निवेश सलाहकार की मदद से अच्छे मार्जिन्स वाली कंपनियों में निवेश करें ताकि लंबी अवधि तक आपको उसका फायदा मिल सके। वैसे भी नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो चुकी है और ये सबसे सही मौका है कि आप अपने पोर्टफोलियों को डायवर्सिफाई करें और अपने जरुरत के हिसाब से थोड़ा-थोड़ा पैसा हर असेट क्लास में लगा लें। ध्यान दें कि आपको लिक्विडिटी की कमी न हों इसलिए अगर आप चाहें तो अच्छे रिटर्न न देने वाली कंपनियों को बेचकर पैसे जमा करें या म्यूचुअल फंड़्स में निवेश किए हुए पैसे रिडीम कर लें। ध्यान दें कि सारे यूनिट्स को रीडीम करने से पहले निवेश सलाहकार की जानकारी अवश्य लें।