फिक्स डिपॉजिट करवाने से पहले रखें इन 5 बातों का ख्याल, आपके बिना भी परिवार को मिल सकेगा पैसा
फिक्स डिपॉजिट को हम कई बार काफी कैजुअल ले लेते हैं, जिससे मेच्योरिटी के वक्त काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
नई दिल्ली। फिक्स डिपॉजिट सबसे सिक्योर इंवेस्टमेंट टूल्स माना जाता है। यही कारण है कि हम सभी अपनी बचत का कुछ न कुछ हिस्सा एफडी में डिपॉजिट जरूर करते हैं। एफडी न सिर्फ आपके लिए ही मुश्किल वक्त का सहारा बन सकती है, वहीं किसी अनहोनी की दशा में यह आपके परिवार को आर्थिक रूप से स्थिर बनाए रखने में मदद करती है। लेकिन कई बार हम एफडी करवाते वक्त काफी कैजुअल एप्रोच अपनाते हैं। जिसका खामियाजा आपकी अनुपस्थिति में आपके परिवार को उठाना पड़ सकता है। यही ध्यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम ऐसी पांच बातें बताने जा रही है, जिसे एफडी करवाते वक्त आपको हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।
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एफडी करवाते समय तय करें नॉमिनी
बैंकिंग सिस्टम में नॉमिनी का क्लाज इन्हीं परिस्थितियों के लिए जोड़ा गया है। लेकिन अक्सर फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते वक्त हम इसकी अनदेखी कर देते हैं। लेकिन यदि आप चाहते हैं कि आपके परिवार के सामने कोई समस्या नहीं आए तो आप इसके लिए नॉमिनी जरूर तय करें। इसके लिए डिपॉजिटर को एफडी करवाते समय ही नॉमिनी का उल्लेख करना होता है। फिक्स्ड डिपॉजिट होल्डर के साथ किसी तरह की अनहोनी होने के बाद बैंक में मृत्यु प्रमाणपत्र की एक कॉपी जमा करनी होती है। बैंक इसके बाद नॉमिनी को मेच्योरिटी की राशि दे देता है।
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अपनी पत्नी को बनाएं ज्वाइंट होल्डर
ज्वाइंट होल्डर का विकल्प हर स्थिति के लिए बेहद मददगार साबित होती है। अगर पहले होल्डर की मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी, मेच्योरिटी पर पैसे पाने का दावा कर सकता है। हालांकि, यदि दूसरे होल्डर की मृत्यु होती है, तो पहला धारक कंपनी से मृतक संयुक्त होल्डर/धारक का नाम हटाने के लिए निवेदन कर सकता है और इसे अपनी पसंद के किसी नाम से बदल सकता है।
अपनी वसीयत में करें नॉमिनी का उल्लेख
यदि जमा राशि केवल एक व्यक्ति के नाम पर है और उस जमाकर्ता की मृत्यु पर एक या एक से ज्यादा व्यक्ति राशि पाने के लिए नामित हैं, तो मेच्योरिटी पर नॉमिनी को जमाकर्ता के ट्रस्टी के तौर पर राशि चुकाई जायेगी। यदि जमाकर्ता ने अपनी संपत्ति के लिए कोई अलग वसीयत बनाई है तो नामित व्यक्ति उसका पालन करने को बाध्य होगा।
नॉमिनी को मिल सकता है समय से पहले भुगतान
इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है कि जमा राशि केवल मेच्योरिटी की तारीख पर ही देय होगी और मृत्यु की तारीख से पहले नहीं। हालांकि, नॉमनी या कानूनी उत्तराधिकारी जमा राशि के समय-पूर्व भुगतान के लिए बैंक से निवेदन कर सकता है और यह बैंक का अधिकार है कि वह ऐसे निवेदन को स्वीकार करती है या मना करती है।
मैच्योरिटी पर लग सकता है टैक्स
मेच्योरिटी राशि को अंतिम प्राप्तकर्ता को देने में कोई टैक्स नहीं लगेगा क्योंकि हमारे देश में वर्तमान टैक्स कानूनों के मुताबिक कोई संपत्ति कर नहीं है। हालांकि, ब्याज की राशि प्राप्तकर्ता की आमदनी में जोड़ी जाएगी और उसे अपनी कर-श्रेणी के अनुसार टैक्स देना होगा।