Tax Trouble: इंश्योरेंस पॉलिसी सरेंडर करने पर पैनाल्टी के साथ देना पड़ सकता है टैक्स
इंश्योरेंस एजेंट आपको टैक्स बचत के फायदों के बारे में आपको बताते हैं। लेकिन शायद वे आपको पॉलिसी सरेंडर के वक्त लगने वाले टैक्स के बारे में नहीं बताते।
नई दिल्ली। आम तौर पर इंश्योरेंस पॉलिसी जीवन सुरक्षा के साथ ही टैक्स सेविंग का जरिया मानी जाती हैं। आपका इंश्योरेंस एजेंट आपको पॉलिसी बेचते समय प्रीमियम से लेकर रिटर्न पर टैक्स बचत के फायदों के बारे में आपको बताते हैं। लेकिन शायद वे आपको पॉलिसी सरेंडर के वक्त लगने वाले टैक्स के बारे में नहीं बताते। भारत में पिछले कुछ वर्षों में पॉलिसी मिस सेलिंग(गलत जानकारी देकर पॉलिसी बेचना) की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई बार आपका इंश्योरेंस एजेंट आपको ऐसी पॉलिसी थमा देता है, जिसकी आपको जरूरत ही नहीं। ऐसे में आपके पास पॉलिसी सरेंडर करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता। लेकिन निश्चित समय से पहले पॉलिसी सरेंडर करने पर आपको पैनाल्टी के साथ टैक्स भी देना पड़ता है। आईए हम आपको बताने जा रहे हैं पॉलिसी सरेंडर के वक्त लगने वाले टैक्स के बारे में, जिन्हें सभी पॉलिसी होल्डर के लिए जानना जरूरी है।
पॉलिसी सरेंडर पर लगता है टैक्स
यदि आप इंश्योरेंस पॉलिसी सरेंडर करने जाते हैं तो आपको बीमा कंपनी के नियमों के तहत पैनाल्टी तो लगती है साथ ही आपको इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स भी भरना पड़ता है। यूनिट लिंक इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) और ट्रेडिशनल बीमा प्लान को सरेंडर करने पर यदि वैल्यू 1 लाख रुपए से ज्यादा है तो इस स्थिति में पैन कार्ड धारकों को 2 फीसदी टीडीएस अदा करना पड़ता है। वहीं पैन कार्ड न होने पर 20 फीसदी टीडीएस कटेगा।
इस स्थिति में पहले मिला डिडक्शन हो जाएगा टैक्सेबल
यदि आपको प्रीमियम अदा करने पर टैक्स छूट हासिल हुई है। तो कुछ स्थितियों में वे डिडक्शन भी आपकी मूल आय में जोड़कर टैक्स काटा जा सकता है। इसके तहत यदि आपने सिंगल प्रीमियम पॉलिसी के पहले दो साल के भीतर सरेंडर किया हो, या फिर रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी के पहले दो वर्षों में सरेंडर करने पर और एलआईसी और यूटीआई की यूलिप की स्थिति में 5 वर्ष के भीतर सरेंडर करने पर डिडक्शन टैक्सेबल हो जाएगा।
बीमा की प्राप्त रकम इन दशाओं में होगी टैक्स फ्री
अक्सर हम बीमा से प्राप्त राशि को भी पूरी तरह टैक्स फ्री मान बैठते हैं। लेकिन सरेंडर के वक्त ऐसा है नहीं, आपकी बीमा की रकम उसी दशा में टैक्स फ्री होगी जब वह 31 मार्च 2003 से पहले इश्यू की गई हो। वहीं 1 अप्रैल 2003 से लेकर 31 मार्च 2012 तक यदि आपका सम एश्योर्ड आपके वार्षिक प्रीमियम के 5 गुना से ज्यादा हो, 1 अप्रैल 2012 के बाद से यह सीमा 10 गुना कर दी गई है।
1.5 लाख तक ही कटौती पर मिलती है छूट
इंश्योरेंस प्रोडक्ट पर छूट पाने की भी एक निश्चित समय सीमा है। यदि आपने यूलिप या ट्रेडिशनल प्लान लिया है तो 80 सी के तहत आपको सिर्फ 1.5 लाख तक के प्रीमियम पर ही टैक्स छूट का फायदा मिलेगा। यदि आप इससे ज्यादा रकम बीमा के प्रीमियम के रूप में भरते हैं। तो आपको इनकम टैक्स छूट का फायदा नहीं मिलेगा।
स्रोत : वैल्यू रिसर्च