Beyond the Obvious: अगर टैक्स है बचाना, तो इन विकल्पों पर भी गौर फरमाना
टैक्स बचाने के लिए इनकम टैक्स की धारा 80सी बहुत लोकप्रिय है, लेकिन यहां ऐसे अन्य कई और विकल्प भी मौजूद हैं, जो आपको टैक्स बचाने में मददगार हो सकते हैं।
नई दिल्ली। टैक्स बचाने के लिए हर कोई निवेश करता है। लेकिन अधिकांश लोग इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत आने वाले ईपीएफ, पीपीएफ, पांच साल की बैंक डिपॉजिट, जीवन बीमा प्रीमियम, राष्ट्रीय बचत पत्र और ऐसे ही अन्य उत्पादों का चयन करते हैं। टैक्स बचाने के लिए इनकम टैक्स की धारा 80सी बहुत ही लोकप्रिय है, लेकिन यहां ऐसे अन्य कई और विकल्प भी मौजूद हैं, जो आपको टैक्स बचाने में मददगार हो सकते हैं।
1. नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)-धारा 80CCD
NPS को साल 2004 में सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू किया गया था। 2009 में इसे प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी लागू कर दिया गया। रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए यह एक आदर्श टूल है। गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए उनके योगदान का 50 फीसदी निवेश इक्विटी में और शेष कॉरपोरेट व सरकारी डेट में किया जा सकता है। इस साल से सरकार ने इनकम टैक्स की धारा 80CCD के तहत एक साल में 50,000 रुपए तक के निवेश पर टैक्स बेनेफिट की मंजूरी दे दी है। यह धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर मिलने वाले टैक्स बेनेफिट से अलग है। हालांकि, एनपीएस में किया गया निवेश निकालते वक्त आपको टैक्स देना होगा। दूसरी ओर PPF और EPF में तीनों स्थिति ( निवेश, संग्रह और वापसी) में टैक्स छूट मिलती है। स्कीम के 10 साल होने पर NPS टियर-1 एकाउंट के सब्सक्राइबर्स अपने योगदान का 25 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं। बिना झंझट मिलेगा Home loan अगर रखेंगे इन बातों का ख्याल
2. स्वास्थ्य बीमा-धारा 80D
इनकम टैक्स कानून की धारा 80D के तहत स्वयं या जीवन साथी और बच्चों के लिए 25,000 रुपए तक का मेडिकल प्रीमियम टैक्स डिडक्शन के अंतर्गत आता है। माता-पिता के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और मेडिकल खर्च पर एक साल में 30,000 रुपए तक की रकम पर टैक्स छूट मिलती है। साथ ही विकलांग बच्चों के मेडिकल खर्च पर 75,000 रुपए पर धारा 80DD के तहत टैक्स छूट हासिल की जा सकती है। गंभीर मामलों में यह छूट 1,25,000 रुपए तक हो जाती है। स्वयं, बीवी, बच्चों या आश्रित माता-पिता के प्रीवेंटिव हेल्थ चेक अप के लिए 5,000 रुपए तक के खर्च को भी टैक्स छूट के लिए दावा किया जा सकता है।
3. दान-धारा 80G
किसी भी ट्रस्ट, चैरिटेबल संस्थान या स्वीकृत शिक्षा संस्थान को दिया गया दान टैक्स छूट के दायरे में आता है। यह छूट दान की गई रकम के 50 फीसदी या 100 फीसदी तक हो सकती है। राष्ट्रीय रक्षा कोष, प्रधानमंत्री सूखा राहत कोष, नेशनल फाउंडेशन फॉर कॉम्युनल हारमोनी, नेशनल चिल्ड्रनस फंड, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष आदि में दिया गया दान टैक्स छूट के दायरे में आता है। इस साल से नेशनल फंड फॉर कंट्रोल ऑफ ड्रग अब्यूज के लिए दिया गया दान 100 फीसदी कर छूट कर दिया गया है। इसके साथ ही स्वच्छ भारत कोष और क्लीन गंगा फंड में भी दिया गया दान पूरी तरह टैक्स मुक्त है। किसी भी राजनीतिक पार्टी या इलेक्टोरल ट्रस्ट को दी जाने वाली राशि भी टैक्स छूट के दायरे में आती है। इसमें छूट पाने के लिए 10,000 रुपए तक की नकदी ही दी जा सकती है।
4. एजुकेशन लोन-धारा 80E
उच्च शिक्षा के लिए लिए गए लोन पर दिए जाने वाली पूरी ब्याज राशि पर टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। सिर्फ अपने बच्चे के लिए ही नहीं बल्कि अपने या जीवनसाथी की पढ़ाई हेतु लिए गए लोन पर भी टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। कुल आय में से केवल जमा किया गए ब्याज की राशि टैक्स छूट के लिए मान्य होती है। यह फायदा ब्याज भुगतान शुरू होने के वर्ष से लगातार आठ सालों तक उठाया जा सकता है। हालांकि, यह छूट केवल व्यक्गितग है इसका फायदा हिंदु अविभाजित परिवार को नहीं मिलता है।
5. होम लोन पर ब्याज की अदायगी-धारा 24
होम लोन की मासिक किस्त में दो भाग होते हैं- एक ब्याज और दूसरा मूल राशि। यह दोनों ही एक करदाता के टैक्स के बोझ को कम करने और लंबी अवधि में संपत्ति बनाने में मदद कर सकते हैं। इनकम टैक्स कानून की धारा 24 के तहत आपकी कर योग्य आय में से स्वयं के रहने वाले घर के ब्याज भुगतान के लिए 2 लाख रुपए तक की राशि टैक्स फ्री हो सकती है। हालांकि, यदि आपका घर निर्माणाधीन है या आपने पजेशन नहीं लिया है, तो यह छूट आपको नहीं मिलेगी। होम लोन की मूल राशि को धारा 80C के तहत टैक्स छूट के लिए रखा जाता है, जहां अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपए है। इसके अलावा इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए दी जाने वाली वन टाइम स्टैम्प ड्यूटी भी टैक्स छूट दायरे में आती है।
6. घर का किराया- धारा 80GG
यदि कोई कर्मचारी या स्व-रोजगार वाला व्यक्ति किराये के मकान में रहता है और उन्हें नियोक्ता की ओर से कोई एचआरए नहीं मिलता है, तो वह 2000 रुपए प्रति महीने के हिसाब से 24,000 रुपए को कुल आय में से टैक्स छूट के लिए रख सकता है। लेकिन अगर करदाता का जीवनसाथी किसी भी रिहायसी संपत्ति का मालिक है, तो इस छूट का लाभ उसे नहीं मिलेगा।