हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले जान लें ये जरूरी बातें, बाद में नहीं पड़ेगा पछताना
हेल्थ इंश्योरेंस के महत्व को मौजूदा समय में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। महंगे इलाज से न केवल आपकी जेब खाली हो सकती है बल्कि कर्ज के बोझ से भी दब सकते हैं
नई दिल्ली। स्वास्थ्य बीमा यानी हेल्थ इंश्योरेंस के महत्व को मौजूदा समय में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हॉस्पिटल और दवाइयों के लगातार बढ़ते खर्च विपरीत परिस्थितियों में न केवल आपकी जेब खाली कर सकते हैं बल्कि कर्ज के बोझ तले भी दबा सकते हैं। बदलती जीवनशैली, पर्यावरण, दूषित खाद्य पदार्थ और नौकरी के तनाव के कारण होने वाली बीमारियों या कीटाणु जनित बीमारियों या दुर्घटना के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस का सालाना छोटा सा प्रीमियम भर कर आप इन बड़े खर्चों से चिंतामुक्त हो सकते हैं। हां, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत आपकी आयकर बचत में भी मदद करता है।
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए:
- पॉलिसी खरीदने की सही उम्र
- उपयुक्त चिकित्सकीय परीक्षण, जो ग्राहकों को पॉलिसी खरीदने से पहले कराने होते हैं
- पॉलिसी से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के तरीके
- उपयुक्त राइडर्स या एड-ऑन, जो पॉलिसी के साथ ही लिए जाते हैं
- बीमारियां, जिन्हें पॉलिसी कवर करती है
- पहले से मौजूद बीमारियों की प्रतीक्षा अवधि
- पुरानी बीमारियों का पारिवारिक इतिहास, जब ग्राहक को स्मार्ट हेल्थ क्रिटिकल इलनेस कवर खरीदने का सुझाव दिया गया हो।
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने के मामले में सबसे उपयुक्त नियम है-जितनी जल्दी, उतना ही बेहतर। अपेक्षाकृत कम उम्र में ही खुद को और अपने परिवार को बीमित कराने से पॉलिसी धारक को किफायती दामों पर पॉलिसी उपलब्ध हो जाती है। साथ ही पर्याप्त बीमा कवर लेकर समय पर प्रीमियम देकर पॉलिसी रिन्यू कराने पर क्लेम लेने में भी काफी सुविधा होती है। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेने के लिए ज्यादातर कंपनियों ने न्यूनतम और अधिकतम आयु सीमा तय कर रखी है और बीमा पॉलिसी लेने से पहले इसे जांचना जरूरी है। ज्यदातार कंपनियां, एक निश्चित आयु (प्राय:40 से 45 वर्ष की आयु) होने पर अनिवार्य मेडिकल टेस्ट कराने पर जोर देती हैं और इसलिए इस आयु से पहले ही बीमा सुरक्षा प्राप्त कर लेना ठीक रहता है। विभिन्न बीमा पॉलिसियों के बीच तुलना करना जरूरी है। इसके लिए आप www.insurancepandit.com या www.policybazaar.com का सहारा ले सकते हैं।
एक्सक्लूजंश को समझें
सभी की तरह हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में कुछ एक्सक्लूजंश होते हैं और यह समझना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि पॉलिसी में क्या कवर किया जाएगा और क्या नहीं। पॉलिसी के अंतर्गत एक्सक्लूजंस को समझने से आपके सामने यह स्पष्ट हो जाएगा कि आप किस चीज के लिए क्लेम कर सकते हैं और किसके लिए नहीं। ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां या तो नि:शुल्क या मामूली अतिरिक्त लागतों पर एड-ऑन फायदे उपलब्ध कराती हैं। इन लाभों के बारे में जानकारी लेना ठीक रहता है क्योंकि इनमें कुछ ऐसे खर्च कवर किए जाते हैं जो अन्य रूप में कवर नहीं किए गए होते। कुछ प्रमुख एड-ऑन लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं-
- अस्पताल नकदी भत्ता (हॉस्पिटल कैश बेनीफिट)
- घर में उपचार
- बच्चों के साथ सहायक रूप में अभिभावकों का ठहराव व्यय
- एम्बुलेंस शुल्क
- इन-पेशेंट फिजियोथेरेपी शुल्क
- सहायक व्यक्ति के खर्च
- बच्चों का एजुकेशन फंड
सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस ही नहीं, इन पर भी करें विचार
बेहतर होगा कि अस्पताल में भर्ती होने के दौरान होने वाले खर्च को कवर करने वाली मूल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के अलावा, आपको बाजार में उपलब्ध अन्य पॉलिसियों पर भी निगाह डालें जो संपूर्ण मेडिकल कवरेज प्रदान करती हैं। ऐसे ही कुछ प्रोडक्ट हैं-
- क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी
- हॉस्पिटल कैश पॉलिसी
- हाई डिडक्टेबल पॉलिसी
कैसे काम करती है हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी
हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के लिए आपको सालाना प्रीमियम देना होता है। आप जिस रकम का कवरेज चाहते हैं आप उसे चुनें आपको उसके हिसाब से कम या अधिक प्रीमियम देना होगा। अगर आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का सम एश्योर्ड यानी कवरेज 5 लाख रुपए चुनते हैं तो किसी बीमारी या दुर्घटना में घायल होने पर उसके इलाज के लिए बीमा कंपनी आपको 5 लाख रुपए तक की रकम की भरपाई करेगी। इसे एक साल में एक बार या मल्टीपल क्लेम में लिया जा सकता है।
बीमा कंपनी से रकम का क्लेम दो तरह से किया जा सकता है:
भरपाई: पहले आपको बिल भरने होंगे फिर आपको उस रकम का क्लेम करना होगा, बीमा कंपनी आपको रकम का भुगतान करेगी।
कैशलेस सेटलमेंट: इसमें बीमा कंपनी के पैनल में शामिल अस्पताल पॉलिसीधारक का पूरा उपचार करता है और उसे बीमा कंपनी सीधे भुगतान करती है।
किन खर्चों को हेल्थ इंश्योरेंस करता है कवर?
विभिन्न बीमा कंपनियों के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर अलग-अलग प्रावधान होते हैं। आम तौर पर निम्नलिखित तरह के प्रावधान होते हैं जो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के समय उसके इन्क्लूजन पर आधारित होते हैं:
- इन-पेशेंट ट्रीटमेंट: इसमें पॉलिसी सम एश्योर्ड तक की राशि का बीमारी की वजह से हॉस्पिटलाइज कवर होता है।
- प्री-हॉस्पिटलाइजेशन: इसमें हॉस्पिटलाइजेशन के तुरंत पहले के 60 दिनों में हुए मेडिकल खर्चों को कवर किया जाता है।
- पोस्ट-हॉस्पिटलाइजेशन: इसके तहत हॉस्पिटलाइजेशन के तुरंत बाद वाले 60 दिनों में हुए मेडिकल खर्चों को कवर करने का प्रावधान है।
- डे-केयर प्रोसीजर्स: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के इस प्रावधान के तहत लगभग 141 सूचीबद्ध डे-केयर के ऐसे खर्चों को कवर किया जाता है जिसमें तकनीकी एडवांसमेंट की वजह से 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहने की जरूरत नहीं होती।
- डोमिसिलियरी ट्रीटमेंट: इसमें घर पर किसी फिजीशियन की सलाह से लिए गए इलाज के खर्च को कवर करने का प्रावधान है।
- इमरजेंसी एंबुलेंस: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के इस प्रावधान में 2,000 रुपए तक की अधिकतम रकम इमरजेंसी में एंबुलेंस पर खर्च करने में दी जाती है।
- आयुर्वेदिक/होम्योपैथिक: वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों के बढ़ते चलन से अब तो कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक के जरिए इलाज का प्रावधान भी है।
कौन सी पॉलिसी खरीदें?
आप हेल्थ इंश्योरेंस अपने खुद या परिवार के लिए फैमिली फ्लोटर पॉलिसी ले सकते हैं। आम तौर पर ऐसी पॉलिसियां 3 माह की उम्र से लेकर 65 साल वालों के लिए उपलब्ध रहती हैं। हालांकि, परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस लेना ज्यादा बेहतर रहेगा।
नोट: यह लेख वरिष्ठ बिजनेस पत्रकार मनीष मिश्र के ब्लॉग सबसे बड़ा रुपइया से लिया गया है।