टैक्स नियमों की जानकारी बढ़ाएगी निवेश पर रिटर्न, जानिए क्या है म्यूचुअल फंड के लिए नियम?
टैक्स दरों की वजह से निवेश योजनाओं के रिटर्न पर काफी असर
नई दिल्ली। निवेश करने से पहले हर कोई महंगाई और टैक्स पर ध्यान देकर निवेश करना चाहता है ताकि रिटर्न बेहतर मिले और बचत हो सके। निवेश के पहले हमेशा ये ध्यान देना चाहिए कि कहीं उनके निवेश पर ज्यादा टैक्स न देना पड़े और निवेश पर सही फायदा मिले। लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न के लिए अक्सर लोग एफडी या बाकी किसी बचत योजनाओं के मुकाबले म्यूचुअल फंड में निवेश करना पसंद करते हैं। लेकिन कई बार महंगाई और टैक्स की वजह से निवेशकों को कम रिटर्न मिल पाता है। टैक्स दरों में समय-समय पर सरकार बदलाव करती रहती है। लेकिन, निवेश से पहले निवेशकों के लिए ये बहुत जरुरी है कि वो अपने निवेश से संबंधित रिटर्न पर लगने वाले टैक्स के बारे में जान लें और उसके मुताबिक ही निवेश करें।
निवेश से पहले टैक्स नियमों के बारे में जानना आपके निवेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद करता है। निवेशक अपने लक्ष्य को पूरा करने और बचत के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। इसी को ध्यान में रखकर इक्विटी और डेट म्यूचुअल फंड से जुड़े टैक्स नियमों के बारे हम आपको जानकारी देगें ताकि आप अपने निवेश के लक्ष्य को बेहतर तरीके से हासिल कर सकें।
1.इक्विटी म्यूचुअल फंड से जुड़े टैक्स नियम:
- निवेशकों को अपने लक्ष्य के हिसाब से म्यूचुअल फंड का चुनाव करना चाहिए। इक्विटी म्यूचुअल फंड की कंपनियों का 65 फीसदी निवेश इक्विटी में किया जाता है और बाजार के उतार-चढ़ाव के मुताबिक मुनाफा मिलता है।
- अगर निवेशक 12 महीने से ज्यादा समय के लिए फंड के यूनिट्स अपने पास रखते हैं तो उसके रिटर्न पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है
- लंबी अवधि के लिए निवेश रिटर्न पर 10 फीसदी तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू
- 1 लाख तक के म्यूचुअल फंड निवेश के रिटर्न पर कोई लॉन्ग टर्म गेन टैक्स नहीं लगता है
- छोटी अवधि के लिए यानी की 12 महीने से कम समय के लिए अगर म्यूचुअल फंड में निवेश किया है तो यूनिट्स पर रिटर्न मिलने पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है।
2. डेट म्यूचुअल फंड से जुड़े रिटर्न पर टैक्स:
- डेट म्यूचुअल फंड फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी जैसे बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटी में निवेश करते हैं।
- 36 महीने या फिर 3 साल से अधिक समय के लिए निवेश किया गया हो तो यूनिट्स पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है
- साथ ही 36 महीने या उससे कम समय के लिए फंड यूनिट्स पर रिटर्न मिलने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है जो 15 फीसदी टैक्स या फिर आपके टैक्स स्लैब के मुताबिक चार्ज किया जाता है
- इंडेक्सेशन के जरिए निवेश किए गए फंड से मिलने वाले मुनाफे पर टैक्स देनदारी को आसानी से घटाया जा सकता है
- निवेश की गई रकम को इंडेक्सेशन के जरिए फंड में लगाया गया हो उसे महंगाई के रेश्यो के अनुसार बढ़ाया जाता है
- इंडेक्सेशन के माध्यम से खरीदे गए फंड के मूल्य का महंगाई के तहत एडजस्टमेंट किया जाता है
कुछ अहम बातों का रखें ध्यान:
- म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले सभी रिस्क और फंड की जानकारी प्राप्त कर लें
- अगर आपको शेयर बाजार का ज्ञान नहीं है तो निवेश सलाहकार की सलाह जरुर लें
- फंड के बारे पूरी रिसर्च करें और किन शेयरों में फंड का पैसा लगा है निवेश से पहले जरुर पता करें
- कंपनी के फंडामेंटल्स कितने मजबूत हैं निवेश से पहले ये जानना बहुत जरुरी होता हैं
- टैक्स आपके टैक्स स्लैब के अंतर्गत ही लागू होता है
- नॉन इक्विटी फंड के स्कीम में निवेशक LTCG का फायदा इंडेक्सेशन के तहत ले सकतें हैं
- ELSS (तीन साल का निवेश) में निवेश करने पर इन्कम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट भी निवेशक पा सकते हैं