2016 में रियल एस्टेट सेक्टर में आए कई बदलाव, 2017 से हैं अब उम्मीदें बड़ी
रियल एस्टेट सेक्टर के इतिहास के पन्नों में साल 2016 काफी बदलाव भरा रहा, रियल एस्टेट बहुत सारी घोषणाओं पर सवार होकर उबड़ खाबड़ रास्तों पर इधर-उधर लुढ़कता दिखा।
नई दिल्ली। इंडियन रियल एस्टेट सेक्टर के इतिहास के पन्नों में साल 2016 काफी बदलाव भरा रहा, रियल एस्टेट बहुत सारी घोषणाओं पर सवार होकर उबड़ खाबड़ रास्तों पर इधर-उधर लुढ़कता नजर आया। अब ध्यान 2017 पर है, जहां सरकार से उम्मीद की जा रही है की इस क्षेत्र और हितधारकों के लिए राहत लाएगी।
साल 2017 में रियल्टी सेक्टर पर नए निर्णय और डिजिटल की वर्षा होगी। साल 2016 में रेरा और जीएसटी को कुछ ही राज्यों ने अपनाया पर 2017 ये अच्छे से लागू हो जाएगा।
साया ग्रुप के एमडी विकास भसीन का कहना है कि
साल 2017 के तीसरी तिमाही में जीएसटी का निरिक्षण किया जाएगा और उम्मीद है की रियल्टी सेक्टर को 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा जाएगा। इनके लागू होते ही रियल्टी सेक्टर और भी पारदर्शी और निखरा हुआ होगा। देश को कैशलेस होने के साथ सरकार पूरे तंत्र को डिजिटल करने की योजना है, जिसमें बिक्री से लेकर भुगतान पंजीकरण सभी को इससे जोड़ा जाएगा। यदि सेल और भुगतान डिजिटल हो जाएंगे तो सरकार अतिरिक्त लाभ भी मुहैया कराएगी।
इस पर पैरामाउंट ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अश्वनी प्रकाश का कहना है कि,
पिछले कुछ सालों में रियल्टी सेक्टर को नजरंदाज़ किया जाता था लेकिन साल 2016 उस तुलना में बढ़िया रहा। आधारभूत संरचना में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, लैंड बिल के पास हो जाने और इंडस्ट्री स्टेटस अभी रुके रहने से खरीदारों की अपेक्षाए थोड़ी कम जरूर हुई लेकिन 2017 इन सभी मांगों को पूरा करेगा।
- टैक्स में कमी और आने वाले बजट पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
- इस साल ब्याज दरों के कम होने से सेक्टर अच्छे से काम करने में सफल होगा साथ ही 2017 में प्रदर्शन बहुत बेहतर होगा।
बुकिंगकर के को-फाउंडर कौशल नागपाल का कहना है कि,
यदि साल 2016 की बात करें तो बहुत ही आश्चर्यजनक रहा। इस बात से हर कोई सहमत होगा जब दिवाली और नवरात्र पर खरीद-बिक्री बहुत अधिक होती है तब भी मार्केट सुस्त रहा।
- ग्रुप हाउसिंग सेगमेंट में अधिकतम लेने-देन हुआ, वो पीएसयू और आईटी के खरीददारों के द्वारा रहा।
- भारतीय रियल एस्टेट मार्केट एक कठोर पिच की तरह टिका हुआ है और आगे बढ़ रहा है।
- मार्केट में उछाल ब्याज दरों में कमी से ही आएगी।
- रेरा खरीददारों के मन में निश्चित ही विश्वास पैदा करेगा।
- मांग को देखते हुए अगले बजट सेशन में ब्रोकर और कंसल्टेंसी सर्विसेज ऊर्ध्वाधर दिशा में बढ़ेगा।