रियल एस्टेट कानून RERA 1 मई लागू, अब तक सिर्फ 13 राज्यों ने बनाए कानून
रियल एस्टेट कानून (RERA) अपना आशियाना खरीदने वालों के अधिकारों की रक्षा और इस क्षेत्र में पारदर्शिता के वादे के साथ लाया गया है।
नई दिल्ली। घर के खरीदारों के लिए यह किसी खुशबरी से कम नहीं कि सोमवार यानि 1 मई से रियल एस्टेट कानून लागू हो जाएगा। रियल एस्टेट कानून (RERA) अपना आशियाना खरीदने वालों के अधिकारों की रक्षा और इस क्षेत्र में पारदर्शिता के वादे के साथ लाया गया है। हालांकि, अभी तक सिर्फ 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इसके कानून अधिसूचित किए हैं। सरकार ने इस उपभोक्ता केंद्रित कानून के लागू होने को एक ऐसे युग की शुरुआत कही है जहां उपभोक्ता ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण होगा।
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रियल एस्टेट से जुड़े कंपनियों ने भी इस कानून का स्वागत किया है। कंपनियों का कहना है कि इससे भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर के काम करने के तरीके में महत्वपूर्ण रूप से बदलाव आएगा। आपको बता दें कि रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) बिल, 2016 को पिछले साल मार्च में संसद में पारित किया था और 1 मई से इस कानून की 92 धाराएं प्रभावी हो जाएंगी।
शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा,
9 साल के लंबे इंतजार के बाद रियल एस्टेट कानून लागू होने जा रहा है और यह नए युग की शुरुआत है। इस कानून की मदद से ग्राहकों को ज्यादा अघिकार मिलेंगे जबकि डेवलपर्स को भी विनियमित माहौल में ग्राहकों का भरोसा बढ़ने से लाभ होगा। इस कानून में खरीदारों और डेवलपर्स के अधिकारों और दायित्वों को परिभाषित किया गया है।
डेवलपरों को नए और पुराने प्रोजेक्ट्स का कराना होगा रजिस्ट्रेशन
RERA के तहत अब डेवलपरों को वर्तमान में चल रहे उन प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन करावाना होगा जिनके कंप्लेशन सर्टिफिकेट जारी नहीं हुए हैं। साथ ही नए लॉन्च होने वाले प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन भी 3 महीने के भीतर प्राधिकरण में कराना होगा। RERA के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्राधिकरण बनाना अनिवार्य है।
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RERA के तहत अभी तक सिर्फ इन राज्यों ने बनाए कानून
अभी तक सिर्फ 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने RERA के तहत कानून अधिसूचित किए हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बिहार शामिल हैं। आवास मंत्रालय ने पिछले साल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमन और दिउ तथा लक्षद्वीप के लिए कानून अधिसूचित किए थे। वहीं, शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए कानून अधिसूचित किए थे।