PPF vs GPF vs EPF : जानिए इनमें अंतर, ब्याज दर और मिलने वाले लाभ के बारे में सबकुछ
यदि आप एक वर्किंग प्रोफेशनल हैं तो आपने जरूर पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) और एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) के बारे में सुना होगा।
नई दिल्ली। यदि आप एक वर्किंग प्रोफेशनल हैं तो आपने जरूर पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) और एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) के बारे में सुना होगा। इन तीनों स्कीम का उद्देश्य सब्सक्राइबर्स को भविष्य में मौद्रिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करना है। हालांकि, इन तीनों एक जैसी लगने वाली स्कीमों के बारे में बहुत अधिक उलझन है। आइए आज हम आपको यहां इन तीनों स्कीमों में अंतर, ब्याज दर और मिलने वाले लाभ के बारे में सबकुछ बताते हैं।
पीपीएफ
कोई भी व्यक्ति अपने नाम पर या नाबालिग के नाम पर किसी भी बैंक में एक पीपीएफ एकाउंट खोल सकता है। यह स्कीम देश के सभी नागरिकों के लिए है। इस स्कीम में लॉक-इन पीरियड 15 साल का है और इसे अगले 5 साल या इससे अधिक के लिए भी बढ़ाया जा सकता है।
पीपीएफ में न्यूनतम निवेश की सीमा 500 रुपए है, जबकि एक वित्त वर्ष में अधिकतम निवेश केवल 1.5 लाख रुपए ही किया जा सकता है। पीपीएफ में किया गया निवेश और उसपर मिलने वाला ब्याज इनकम टैक्स से छूट प्राप्त है। इस स्कीम में आप वार्षिक, तिमाही, छमाही या मासिक निवेश कर सकते हैं। पीपीएफ पर वर्तमान में ब्याज की दर 8 प्रतिशत है और सरकार द्वारा इसे हर तिमाही में संशोधित किया जाता है।
ईपीएफ
संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए यह एक बचत स्कीम है। ईपीएफ में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ही योगदान देते हैं। ईपीएफ खाते में जमा होने वाली राशि खाताधारक की सैलरी में से काटी जाती है। वर्तमान में, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) प्रत्येक खाते पर जमा की गई राशि पर 8.55 प्रतिशत ब्याज दे रहा है। जिस कंपनी में 20 से अधिक कर्मचारी हैं उन्हें ईपीएफ खाता खोलना अनिवार्य है।
कुछ विशेष मामलों जैसे घर खरीदने, ऋण चुकाने, बच्चों या भाई/बहन की शादी, गंभीर बीमारी आदि के लिए ईपीएफ खाते से आंशिक रकम निकाली जा सकती है। इनकम टैक्स कानून की धारा 80सी के तहत ईपीएफ खाते में एक वित्त वर्ष के दौरान जमा किए गए 1.5 लाख रुपए पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है।
जीपीएफ
यह स्कीम केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए है। जीपीएफ में केवल कर्मचारी ही योगदान करता है, सरकार इसमें कोई योगदान नहीं देती है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने पीपीएफ और जीपीएफ की ब्याज दरों में वृद्धि की है।
जीपीएफ और अन्य संबंधित स्कीमों की ब्याज दर को पिछले महीने 0.4 प्रतिशत बढ़ाकर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए 8 प्रतिशत किया गया है। जुलाई-सितंबर 2018-19 तिमाही के लिए जीपीएफ पर ब्याज दर 7.6 प्रतिशत थी।