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Hindi News पैसा मेरा पैसा शाहबेरी जैसे हाउसिंग प्रोजेक्‍ट्स से बचने के लिए जान लें ये बातें, नहीं तो बाद में सिर्फ पछतावा ही लगेगा हाथ

शाहबेरी जैसे हाउसिंग प्रोजेक्‍ट्स से बचने के लिए जान लें ये बातें, नहीं तो बाद में सिर्फ पछतावा ही लगेगा हाथ

ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट के शाहबेरी का मामला अभी ताजा है। यहां एक छह मंजिला निर्माणाधीन मकान दूसरे बिल्डिंग पर गिर पड़ा।जरा सोचिए, अगर आपका मकान भी शाहबेरी के इस प्रोजेक्‍ट में होता तो?

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नई दिल्‍ली। ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट के शाहबेरी का मामला अभी ताजा है। यहां एक छह मंजिला निर्माणाधीन मकान दूसरे बिल्डिंग पर गिर पड़ा। इस घटना में दर्जनों लोग जमींदोज हो गए। यहां भी लोगों ने अपने सपनों का आशियाना खरीदा था। इस प्रॉपर्टी को सिर्फ तीन हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां फाइनेंस कर रही थीं। जरा सोचिए, अगर आपका मकान भी शाहबेरी के इस प्रोजेक्‍ट में होता तो? भले ही आप इसमें रह नहीं रहे होते लेकिन आपकी मेहनत के पैसे इसमें लगे होते हैं। तो फिर, आपके पास क्‍या रास्‍ता है? आइए जानते हैं कि घर खरीदते समय आपको किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।

कितने फायदे का सौदा होगा बैंक से लोन लेना?

किसी भी प्रॉपर्टी के लिए लोन देने से पहले बैंक बारीकी से इस बात की तस्‍दीक करते हैं कि उस प्रोजेक्‍ट के दस्‍तावेज से लेकर बाकी की चीजें दुरुस्‍त हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक से लोन लेकर आप पूरी तरह आश्‍वस्‍त नहीं हो सकते कि प्रॉपर्टी पूरी तरह कानूनन दुरुस्‍त ही होगी। अगर किसी प्रोजेक्‍ट को एक-दो बैंक ही फाइनेंस कर रहे हैं तो उसकी जांच आपको खुद ही करनी चाहिए। अगर, किसी प्रोजेक्‍ट को 5-7 बैंक फाइनेंस कर रहे हैं तो उसमें कानूनी अड़चन आने की समस्‍या अपेक्षाकृत कम होती है।

एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्‍टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन अनुज पुरी ने IndiaTVPaisa.com से बातचीत में बताया कि अगर प्रॉपर्टी बनने से पहले ही धराशायी हो जाती है या बिल्‍डर भाग जाता है या प्रोजेक्‍ट के कंप्‍लीशन में ज्‍यादा वक्‍त लगता है तो खरीदारों ने जहां से होम लोन लिया है, उन्‍हें EMI का भुगतान करना ही होता है।

प्रॉपर्टी के कंप्‍लीशन के बाद सोसायटी करवा सकती है ढांचे का बीमा

Anuj Puri Anarock

पुरी कहते हैं कि अगर आप रेडी टु मूव घर खरीद रहे हैं तो सबसे अच्‍छी बात तो यह होती है कि आपकी ईएमआई व्‍यर्थ नहीं जाती। आप जहां रह रहे हैं उसी प्रॉपर्टी के लिए ईएमआई दे रहे हैं। अगर, आपकी हाउसिंग सोसायटी बिल्डिंग के ढांचे का इंश्‍योरेंस करवाती है तो शाहबेरी जैसी घटना होने पर बीमा कंपनी फिर से बिल्डिंग का ढांचा तैयार करने के लिए बीमा की रकम दे सकती है। अगर आपने अपने घर का बीमा लिया हुआ है तो ऐसे मामले में आपके घर में रखे सामान, गोल्‍ड आदि के नुकसान की भरपाई भी बीमा कंपनी करेगी। हालांकि, अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन प्रॉपर्टी के मामले में आपके पास ऐसा कोई विकल्‍प नहीं होता।

बिल्‍डर पर नहीं दस्‍तावेजों पर कीजिए यकीन

घर खरीदने के दौरान बिल्‍डर के बुकलेट और ब्रोशर या एजेंट की लुभावनी बातों में न आएं। सच्‍चाई का पता लगाएं। सबसे पहले अथॉरिटी से अप्रूव लेआउट मैप देखें। इसके अलावा, प्रोजेक्‍ट लेआउट में मकानों की संख्‍या, खुली जगह और ग्रीन स्‍पेस की पूरी जानकारी लें।

प्रोजेक्‍ट की जमीन में तो कोई गड़बड़ी नहीं?

हाल ही में आपके सामने नोएडा एक्‍सटेंशन का मामला सामने आया होगा जहां खेती की जमीन पर मकान तैयार किए जा रहे थे। इसलिए, यह जानना सबसे ज्‍यादा जरूरी है कि जमीन पर मालिकाना हक किसका है और जमीन किस श्रेणी में आती है। साथ ही, अगर उस पर मकान बनाए जा रहे हैं तो वह नियमों के अनुकूल है या नहीं।

बिल्‍डर से जरूरी दस्‍तावेज मांगने से हिचके नहीं

कई बार बिल्‍डर पैसे कमाने के चक्‍कर में अप्रूव फ्लोर से ज्‍यादा बना देते हैं। परिणाम कोर्ट केस होता है। ऐसे प्रोजेक्‍ट को जरूरी क्लियरेंस नहीं मिल पाता। इसलिए, जब भी आप घर खरीदने जाएं जो बिल्‍डर से ऑक्‍यूपेंसी सर्टिफिकेट और कंप्‍लीशन सर्टिफिकेट की मांग करें। ये सर्टिफिकेट साबित करते हैं कि बिल्‍डर ने नियमों के अनुकूल मकान बनाए हैं। ऐसे सर्टिफिकेट्स सरकारी अथॉरिटी जारी करती हैं।

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